हमारे एडुलीडर्स ने अपने कलस्टर मीटिंग्स को ना केवल योजनात्मक तरीके से किया है बल्कि उसमें शामिल महत्वपूर्ण बिंदूओं पर चर्चा का भी एक अच्छा दायरा विकसित किया है, जिससे सभी की क्षमता में विकास एवं झिझक कम हुई है। अपनी बातों को रखना एवं विभिन्न पहलूओं पर चर्चा करना, किसी नए विषय को लागू करने के बारे में सोचना और उसे लेकर योजना बनाना भविष्य के लीडर्स के निर्माण की पहली सीढ़ी है और इस सीढ़ी को बनाने में आई-सक्षम एवं एडुलीडर्स प्रतिबद्ध हैं।
मैं आंचल बैच 9, मुंगेर की एडुलीडर हूं। मैं आप लोगों के साथ आज के क्लस्टर मीटिंग का अनुभव साझा करने जा रही हूं। आज के क्लस्टर मीटिंग की शुरुआत ध्यान यानी की मेडिटेशन के साथ हुई, जिसमें हमने सबको पिछले कलस्टर मीटिंग से लेकर इस क्लस्टर मीटिंग को समझने के लिए समझ बनाई। मेडिटेशन की प्रक्रिया काफी बेहतर तरीके से संपन्न हुई। उसके बाद हमने अपने कलस्टर मीटिंग की शुरुआत की। इसमें हमारी सबसे पहली कड़ी- एक्टिविटी थी।
याद आए बचपन के दिन
एक्टिविटी सोचो और खेलो करके सबको बहुत अच्छा लगा। सब अपने बचपन की कहानियां, बचपन की शरारतें सब बता रहे थे। अच्छे से ड्राइंग बनाकर जैसे- इमोजी से अलग-अलग तरह से वे अपने बचपन को दर्शा रहे थे। उसके बारे मुझे भी अपने बचपन याद आ गया। मुझे बहुत अच्छा लगा कि शायद हम अपनी बचपन की सारी बातें नहीं बता पाएं लेकिन थोड़ी-थोड़ी, खट्टी-मीट्ठी यादें ताजा की जा सकती हैं।
पुस्तकालय पर हुई बहस
हमारे क्लस्टर मीटिंग में तय किया है कि हम अपने समाज में एक पुस्तकालय खोलेंगे, जिसके लिए बहुत चर्चा भी हुई और काफी सेहतमंद बहस भी हुई क्योंकि विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करनी थी। सर ने तय किया कि इसमें हम लोग को क्या करना है, कैसे करना है, क्या अच्छा कर सकते हैं, क्यों करना है, इससे क्या प्रभाव पड़ेगा इत्यादि।
कलस्टर मीटिंग में शामिल सरिता का कहना था कि बार-बार मीटिंग में जो प्लान होता है, उसमें प्लान बना था कि मिलना है, बात करना है, तो सेशन के वजह से हम बात नहीं कर पाए लेकिन इस ग्रुप में जो अनुभव साझा किया जाता है, उसके द्वारा हम अच्छे से समझ बना पाते हैं। हम लोगों ने अपने बढ़ते कदम पर प्रेजेंटेशन दिया जो सबको अच्छे से समझ आया।
कलस्टर मीटिंग में जो चीजें बाहर निकल कर सामने आईं-
- सब समय पर आए थे।
- सबने अपनी बातों को अच्छे से रखा और सभी को बोलने का मौका मिला।
- लाइब्रेरी के महत्व अच्छी समझ बनी।
किन बिंदूओं पर सुधार हो सकता है-
- समय का ध्यान रखते हुए, अपनी बातों को बोल सकते थे ताकि समय का उपयोग अन्य कामों में हो पाता।
कलस्टर मीटिंग से लर्निंग क्या रही-
- लाइब्रेरी और स्मार्ट गोल्स पर समझ बनी।
नयी चीज़ जो सामने आई-
- हमारे मन में कोई भी बात हो, तो हमें ग्रुप में पहले ही साझा कर देना चाहिए ताकि उस पर सब कोई सोच कर आ सके और अच्छे से वह बात समझ में आए और सब अपना योगदान दे सकें।
- इससे सबको बोलने और सोचने का मौका मिलेगा।
कुल मिलाकर टीम का अनुभव काफी अच्छा रहा और उम्मीद है कि जिन मुद्दों पर चर्चा हुई है, उसके सकारात्मक परिणाम निकल कर सामने आएंगे।
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