आज मैं आप सभी के साथ बिहार के गया ज़िले के चौगाई गांव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय में हुए बाल उत्सव का अनुभव साझा करने जा रही हूं। इस बाल उत्सव का आयोजन राजकीय मध्य विद्यालय में हुआ था, जिसमें प्राथमिक विद्यालय, भलुहार, चौगाई भी शामिल था।
SAVE Solutions Pvt. Ltd एवं I-Saksham Education and Learning Foundation (i-Saksham) के सहयोग से राजकीय मध्य विद्यालय, चौगाई गांव, गया, बिहार में बाल उत्सव का आयोजन किया गया। इस बाल उत्सव का उद्देश्य बच्चों, विद्यालय और समाज को एक जगह लाकर बच्चों की क्षमता को सबके सामने लाने के लिए एक मंच तैयार करना, बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ाना एवं उनकी क्षमता को विकसित करना है। SAVE Solutions Pvt. Ltd एवं i-Saksham द्वारा चल रहे फैलोशिप प्रोग्राम के तहत बच्चों को एडुलीडर बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, ताकि वे दूर-दराज इलाकों में शिक्षा के प्रति, बाल-विवाह के प्रति और आधारभूत स्तर पर परिवर्तन ला सकें।
पहला cohort, 18 एडु-लीडर्स के साथ अक्टूबर 2020 में कोविड के दौरान गया जिले के अमास और बांके बाजार ब्लॉक में शुरू किया गया था। इसके बाद साल 2021 और 2022 में दो और cohorts एडुलीडर्स द्वारा शुरू किए गए। अभी तक SAVE Solutions 50 एडु-लीडर्स अपने CSR कार्यक्रम के अंतर्गत प्रायोजित कर रही है।
मैं पहली बार किसी स्कूल में हुए बाल उत्सव में भाग ले रही थी इसलिए मैं बहुत उत्साहित थी। साथ ही मेरा उत्साह उस वक्त दोगुना हो गया, जब मैंने अन्य बच्चों को भी उत्साहित देखा।
किताबों से सजा स्कूल
पूरा स्कूल ही किताबों से सजा हुआ था। ऐसा लग रहा था मानों होली से पहले ही पूरे स्कूल में किताब के रंग छा गए हो। बच्चे एडुलीडर के साथ मिलकर टीएलएम, एलएफडब्ल्यू की किताब, बाल उत्सव के पोस्टर आदि लगा रहे थे। वहीं कुछ बच्चे अभिभावकों के बैठने के लिए दरी और कुर्सी लगा रहे थे। कुछ बच्चे संगीत की धुन में खोए हुए थे। जब सारी तैयारी लगभग पूरी हो गई, उसके बाद अभिभावकों का आना शुरू हो गया।
बाल उत्सव |
और खुशी की लहर दौड़ गई
मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था कि सारे अभिभावक अपना कीमती समय निकालकर यहां तक आए। जब सारे अभिभावक अपना-अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे फिर स्कूल के कुछ छात्राओं ने स्वागत गान गाकर अभिभावकों का स्वागत किया। स्वागत गान सुनकर अभिभावकों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।
उसके बाद हमारी एडुलीडर प्रीति और ब्यूटी आर्या ने बेटी और नारी के ऊपर एक बहुत ही अच्छी कविता सुनाई, फिर स्कूल की दो बच्चियों ने सैनिकों के जीवन पर आधारित एक बहुत ही सुंदर गीत सुनाया। उसके बाद कृषक पृष्ठभूमि को दर्शाते हुए बताया गया कि चने की फसल को कैसे बोया जाता है? उस पर एक्शन के साथ एक बाल गीत भी सुनाया गया।
बचपन की यादों का दरीचा
इन सारे कार्यक्रम के बाद हमारी टीम की तरफ से बच्चों के बीच स्टोरी राइटिंग, ड्राइंग कंपटीशन, इंग्लिश और मैथ के गेम्स आदि कराए गए। सारे बच्चे ना केवल इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए काफी उत्सुक थे बल्कि उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा भी। बच्चों की प्रतिस्पर्धा और प्रतियोगिता के प्रति लगन देखकर मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हुआ, मानों किसी ने बचपन की याद को आंखों के सामने परोस दिया हो।
पुरस्कार प्राप्त करते बच्चे |
प्रतियोगिता के बाद स्कूल की तरफ से म्यूजिकल चेयर गेम का आयोजन हुआ, जिसमें बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चों में एक अलग ही खुशी का माहौल था। जब सारी एक्टिविटी खत्म हो चुकी थी और इनाम बांटने का वक्त आया, तब जिन बच्चों ने प्रतियोगिता में पहला, दूसरा या तीसरा स्थान प्राप्त किया था ना केवल उन्हें बल्कि भाग लेने वाले सभी बच्चों को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया ताकि उनका मनोबल भी बना रहे।
यह अनुभव अदिबा, बड्डी इंटर्न ने आई-सक्षम के साथ साझा किया है।
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