हमारे एडुृलीडर्स हर रोज कुछ नया करने का प्रयास करते हैं और समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं। इसी कड़ी में बैच-9 की सपना ने अपना अनुभव साझा किया है, जिसमें वे बता रही हैं कि धन्यवाद देने का अनुभव कैसा हो सकता है? साथ ही उनके अनुभव को पढ़ते हुए, आप भी महसूस कर पाएंगे कि धन्यवाद केवल एक शब्द नहीं बल्कि एक अनुभव है। वे लिखती हैं-
"हेल्लो दोस्तों , आज मैं आपको आज का फील्ड वर्क का अनुभव बताना चाहती हूं। आज मुझे उन अविभावकों को धन्यवाद बोलना था, जो अपने बच्चों को एवं आई-सक्षम पर भरोसा करतेे हैं। सच बताऊंं तो मुझे काफी अच्छा महसूस हुआ और ये इस तरह का अनोखा अनुभव था क्योंकि सामान्यतः लोग धन्यवाद करते तो हैं, लेकिन उसे महसूस या उसके भाव को समझ नहीं पाते हैं।"
अभिभावक करते हैं प्रोत्साहित
"मैंने जितना हो सके, उतने अभिभावकों से मिल कर उन्हें धन्यवाद दिया। अभिभावक अकसर कहते हैं, आप इतने अच्छे से पढ़ाते हैं एवं बच्चों को अच्छे संस्कर देते हैं। आज के समय में जब शिक्षा एक व्यपार बन गया है, ऐसे में एक शिक्षक का अपने विद्यार्थियों के लिए इतनी मेहनत करना वाकई सराहनीय है।"
दिव्यांशु की मम्मी का कहना था, "आपके यहां मरा बच्चा अच्छे से पढ़ता है। पहले तो इतना बदमाशी करता था कि मैं तंग आ जाती थी लेकिन अब मेरा बेटा अच्छे से रहता है। मेरी बात भी सुनता है एवं घर के बड़े-बुजुर्गों की इज्जत भी करता है। साथ ही घर में भी किताब निकाल कर पढ़ता है। मुझे बहुत खुशी होती है कि मेरे बच्चे में बदलाव आ रहा है।"
बच्ची करती है आपकी नकल
प्रियांशु की मम्मी का भी कहना था कि मेरी बेटी आपकी नकल करके, आपकी तरह पढ़ाने की कोशिश करती है कि मैडम ऐसे पढ़ाती हैं, मैडम ऐसे समझाती हैं इत्यादि।
अब अगर किसी भी व्यक्ति को इतना सराहा जाए, तो उसका भी कर्तव्य बनता है कि वह भी अपनी तरफ से कृतज्ञता व्यक्त करे। यही कारण था कि मैं सभी अविभावकों को धन्यवाद पत्र दिया। मेरी इस पहल से वे काफी खुश हुए। साथ ही अब हमारे बीच ऐसा रिश्ता बन गया है कि ऐसा लगता है कि मैं भी उनके परिवार की सदस्य हूं।
किसी को प्यार और सम्मान से अगर धन्यवाद बोला जाए, तो एक ऐसे रिश्ते का निर्माण होता है, जिससे रिश्तों की डोर मजबूत हो जाती है। साथ ही मन में भी एक खुशी का भाव उतपन्न होता है, जो आपको और ऐसे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे ना केवल दूसरों को बल्कि स्वयं को भी अच्छा महसूस हो सके।
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