फोटो क्रेडिट- आई-सक्षम |
बैच-9 की एडु-लीडर शालु ने अपना क्लासरुम का अनुभव साझा किया है। उनका अनुभव पढ़ने के बाद आप महसूस करेंगे कि किसी के चेहरे पर खुशी के भाव देखने के लिए महंगे तोहफे या दिखावे की जरुरत नहीं होती है बल्कि छोटी-छोटी खुशियां ही संतोष देने वाली होती हैं।
आज जब मैं क्लास रूम में गई तब बच्चों ने मुझे गुड मॉर्निंग विश किया और मैंने भी बच्चों को गुड मॉर्निंग विश किया। इसके बाद बच्चों से हाल-समाचार पूछा क्योंकि मेरा मानना है कि अचानक से पढ़ाई-लिखआई की बातें करना बच्चों को बोर कर सकता है इसलिए पहले हल्की-फुल्की बातें होनी चाहिए।
बातचीत के दौरान एक बच्चे अंशु कुमार ने कहा, मिस आज अपने स्कूल के बगल में पेड़ वितरण हो रहा है। दूसरे बच्चे ने बताया कि कल से कुछ कक्षाओं में परीक्षा शुरु होने वाली है। कुल मिलाकर सभी बच्चों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए।
इसके बाद मेडिटेशन की प्रक्रिया शुरु हुई। बच्चे पहले मेडिटेशन करने से हिचकते थे लेकिन अब बच्चे स्वयं ही उत्साह से एक-दूसरे को मेडिटेशन कराते हैं, जो मेरे लिए खुशी की बात है।
इसके बाद गणित की कक्षा शुरु हुई और मैंने बच्चों को जोड़-घटाव पढ़ाया। इसके बाद बच्चों को कुछ प्रश्न भी दिए जिसे उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर बनाया और जिन प्रश्नों पर उन्हें दिक्कत हो रही थी, उस पर भी मैंने बच्चों के साथ उसे हल किया।
इसके बाद हेडमास्टर सर क्लास में आए और बच्चों का अटेंडेंस लिया। साथ ही उन्होंने बताया कि आज स्कूल में पढ़ा रहे किन्हीं राकेश सर का जन्मदिन है इसलिए जब वे कक्षा में आएं, तब बच्चे उनका अभिवादन करें। इसके बाद वे चले गए।
शिक्षक और बच्चों के बीच रिश्ता
मैंने बच्चों को राकेश सर को जन्मदिन की बधाई देने के लिए कहा और कुछ बच्चों के कहने पर ग्रीटिंग कार्ड बनाने में उनकी सहायता भी की। जब मेरी कक्षा पूरी हो गई और राकेश सर की घंटी थी, तब बच्चों ने उन्हें वे ग्रीटिंग कार्ड दिए और बधाई दी। मैं वहीं खड़ी सब देख रही थी। यहां मैंने महसूस किया कि सर के चेहरे पर एक अलग ही तेज था और बच्चों के अंदर भी आत्मविश्ववास की भावना झलक रही थी।
इसके बाद मैं फिर कक्षा में गई ताकि बच्चों को आने वाली परीक्षा की तैयारी करा सकूं। हालांकि लाइब्रेरी से किताब लेकर कहानी सुनाने को मैंने परीक्षा होने तक टाल दिया है मगर एक्टिविटी के जरिए उन्हें पढ़ाना जारी रखूंगी।
देखा जाए, तो ग्रीटिंग्स कार्ड बनाना, किसी को बधाई देना बहुत छोटा-सा काम लगता हो। यहां तक कि बहुत लोगों को तो ये सारी चीजें पहाड़ जैसी लगती हैं मगर किसी को बधाई देने से या किसी के चेहरे पर खुशी की बूंद देखने से मन को संतोष मिलता है। आज बच्चों के चेहरों पर भी मुझे वही खुशी और संतोष की झलक दिखाई पड़ी है। उम्मीद करती हूं कि बच्चे ऐसे ही बने रहेंगे और अपनी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
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