एडुलीडर्स के अनुभवों की कड़ी में आज पढ़िए प्रियंका का अनुभव, जिसमें उन्होंने बताया है कि किस प्रकार एक बच्चे के जवाब ने उन्हें किया प्रोत्साहित..
मैं प्रियंका कुमारी बैच 9 की एडुलीडर हूं और मुंगेर की रहने वाली हूं। आज मैं अपना अनुभव साझा कर रही हूं। आज जब कक्षा मे गई तो देखी कि सभी बच्चे बहुत खुश थे। सभी बच्चे अपने काम को कर रहे थे। यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि सभी बच्चे अपने काम कर रहे हैं लेकिन एक बच्चा बिल्कुल चुप चाप बैठा था। सारे बच्चे उसे बार बार देख रहे थे और मैं भी सोच रही थी कि आखिर क्या हो गया? हमेशा बोलते रहने बाले बच्चा एकदम शांत है लेकिन ऐसा क्यों?
जब मैंने उससे उसका हाल-चाल पूछने के लिए उसे अपने पास बुलाया फिर मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ दिलखुश, तुम इतने चुपचाप क्यों बैठे हो? इस पर उस बच्चे ने बताया कि उसकी तबीयत खराब है इसलिए वह चुपचाप बैठा है।
बच्चे का जवाब सुनकर हुआ अचंभा
मैंने उससे कहा कि अगर तबीयत सही नहीं लग रही है, तो मैं दवा मंगा देती हूं लेकिन उसने कहा कि उसने दवा ली है, फिर मैंने कहा कि आज आराम कर लेते बच्चे लेकिन उसने जो कहा उसके बाद मैं कुछ देर तक स्तब्ध रह गई। उसने कहा, “दीदी, मुझे पढ़ना है और आप बहुत अच्छा पढ़ाती हो इसलिए मैं पढ़कर ही घर जाऊंगा।”
सच बताऊं तो आज ऐसा लगा मानों मेरी मेहनत सफल हो गई हो क्योंकि एक बच्चे की पढ़ने के प्रति ऐसी जिज्ञासा और लगन बहुत बड़ी बात है। मुझे विश्वास है कि वह बच्चा अपने जीवन में जरुर अच्छा मुकाम हासिल कर सकेगा।
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