Thursday, February 23, 2023

आंचलः जब अभिभावकों ने पीटीएम में गाया बाल गीत और इंज्वॉय की एक्टिविटी

फोटो क्रेडिट- आई सक्षम


पीटीएम करवाना और उसके पहलूओं को अगले पीटीएम में लागू करना एक चुनौती भरा काम है। पीटीएम का अर्थ बच्चों के अभिभावकों अर्थात पैरेंट्स से बात करना है ताकि उन बिंदूओं पर चर्चा हो सके, जहां सुधार की जरुरत है और जिन हिस्सों में सुधार हुआ है, उनका वर्तमान में कैसा असर है? इस बारे में हमारी एडुलीडर आंचल ने अपना अनुभव साझा किया है- 

मैं आंचल बैच 9 (मुंगेर) की एडुलीडर हूं। मैं आप लोगों के साथ आज के पीटीएम का अनुभव साझा करने जा रही हूं। पिछले शनिवार को जब मैं कम्युनिटी गई थी, तभी सारे अभिभावकों को पीटीएम के लिए आमंत्रण दे दिया था लेकिन उसके बाद मेरी तबीयत खराब हो गई थी, जिसके कारण मैं पीटीएम के लिए अभिभावकों को दोबारा नहीं बुला सकी। 

पैरेंट्स थे कम उत्साहित 

जब मैं आज स्कूल जा रही थी, तो हमारे मन में बस यही चल रहा था कि आज का पीटीएम कैसा होगा? पता नहीं पेरेंट्स आएंगे भी या नहीं। बहुत सारे सवाल मन में चल रहे थे। मैंने अपनी दूविधा को अपनी एक दोस्त सरिता के साथ स्कूल जाते वक्त साझा किया। तभी राजमणि का कॉल आया कि पैरेंट्स लोग आ गए हैं। 

मैं जब स्कूल पहुंची तो देखा कि तीन पैरेंट्स ही आए थे। उन्होंने कहा कि हम जा रहे हैं जबकि मैंने 11:00 का टाइम दिया था। उसके बाद 3 पैरेंट्स जो आए थे , वे भी वापस चले गए। मुझे अच्छा नहीं लगा था। 

शिक्षिकाओं ने की मेरी मदद 

कुछ देर बाद मैं दोबारा पैरेंट्स को बुलाने गई और सबको कॉल भी किया। मेरी तबीयत थोड़ी खराब थी लेकिन विद्यालय की शिक्षिकाओं ने इस बार बहुत ही ज्यादा मदद की, जिस कारण इस बार का पीटीएम हो पाया। उन्होंने पैरेंट्स को बुलाने में बहुत ज्यादा मदद की। इसके बाद 15 पैरेंट्स आए। 

पिक्चर रीडिंग पर हमने उनका अनुभव जाना तो बहुत सारे पैरेंट्स ऐसे थे, जिन्होंने अपने घर पर बच्चों को पिक्चर रिडिंग नहीं करवाया। उनका कहना था कि हम से नहीं हो पाएगा। वहीं कुछ पैरेंट्स ने पिक्चर रिडिंग करवाया था।

पैरेंट्स एक्टिविटी के वक्त खुद को ज्यादा अच्छे से जोड़ पा रहे थे। बाल गीत करवाते समय हमें अच्छा लगा कि पैरेंट्स आगे आकर खुद करवाना चाह रहे थे। हालांकि उन्हें याद नहीं लेकिन फिर भी उन्होंने आगे आकर बालगीत करवाने की कोशिश की। 

अभिभावकों ने कराया बालगीत 

मुझे यह अच्छा लग रहा है कि दो बार से धीरे-धीरे करके ही लेकिन खुद वे आगे आ रहे हैं। आज का पीटीएम बहुत ही अच्छा रहा। हालांकि शुरुआत में बहुत ज्यादा सवाल-जवाब हुए लेकिन अंत में सब अच्छा रहा।

आज के पीटीएम में अगर सारे पैरेंट्स समय पर आते, तो एक साथ अच्छे से तो और बेहतर हो पाता। इसके अलावा सब पिक्चर रिडिंग करवा कर आते तो सबका अनुभव जानकर बहुत अच्छा लगता लेकिन कुछ ही पैरेंट्स आए थे। 

कुल मिलाकर देखें तो पीटीएम का अनुभव अच्छा रहा लेकिन जो खामियां सामने निकलकर आईं, उन पर काम करना जरुरी है। अभिभावकों का उत्साह भी बनते जा रहा है लेकिन अब भी कसक है कि अन्य अभिभावकों को भी पीटीएम एवं अन्य एक्टिविटी में बेहतर तरीके से जोड़ा जाए ताकि उनकी समझ भी बन सके। 

उम्मीद है कि आगे आने वाले पीटीएम में इन बदलावों का असर दिखेगा। पहले दो पैरेंट्स वापस जाने के लिए तैयार थे, शायद उनकी इच्छा नहीं थी लेकिन बाद में उनका उत्साह देखते बना। 


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