एडुलीडर्स हर दिन एक नई ऊर्जा के साथ निकलते हैं लेकिन कभी-कभी कोई दिन चुनौतियों से भरा होता है, तो कभी दिन थोड़ा आसान होता है मगर चुनौतियां हर रोज होती है। इसी कड़ी में हमारी एडुलीडर श्रृष्टि कुमारी ने अपना एक अनुभव साझा किया है।
मेरा नाम श्रृष्टि कुमारी हैं और मैं मुंगेर की रहने वाली हूं। आज मैं आप सबके साथ एक छोटा सा अनुभव साझा कर रही हूं। आज मैं इंद्रुख की बच्चियों के बारे में फॉलोअप लेने गई थी इसलिए मैंने सबसे पहले स्कूल जाकर देखने का सोचा।
मैं सबसे पहले गांव के स्कूल गई और सोचा कि पहले मैं प्रधानाध्याप से बात कर लेती हूं और मेरी मुलाकात उस विद्यालय की प्रधानाध्यापिका से हुई और मैंने उन्हें अपने आने का पूरा कारण बताया।
मुझे मिला मैडम का सहयोग
मैंने उनसे कहा, "मैडम, मैं यहां बच्चियों की जानकारी लेने आई हूं।" मेरे इतना कहने पर वे झट से तैयार हो गई और मैंने सबसे पहले उन बच्चियों का फॉलोअप लिया कि वे स्कूल आ तो रही हैं ना इस पर मुझे पता चला कि वे नियम से रोज स्कूल आ रही हैं। इसके बाद मैंने मैडम से अन्य बच्चियों के नामांकन के लिए बातें की। मुझे बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मैडम ने मुझे बहुत अच्छे से सुना और समझा भी और इस तरह से मुझे उनसे बहुत बड़ी मदद मिल गई क्योंकि वे भी काफी उत्साहित नजर आ रही थीं।
मैडम ने खुद ही बताना शुरु किया कि किन-किन बच्चों का नामांकन विद्यालय में है और किन बच्चों का नामांकन कराने की जरुरत है। देखा जाए, तो उनकी इस जानकारी से मुझे काफी सहयोग मिला और मेरा काम थोड़ा आसान हो गया।
अभिभावकों के साथ संवाद स्थापित
इसके बाद मैंने बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ समय बिताया और उनके बीच बैठकर उनकी समस्याओं को सुना ताकि एक बेहतर संवाद की कड़ी स्थापित हो सके। बातचीत में पता चला कि वे अपनी कुछ बच्चियों को स्कूल नहीं भेजते लेकिन मैंने उन्हें समझाया और मैडम के बारे में भी बतायास तब उन्होंने हामी भरी और अगले दिन से अपनी बच्चियों और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी हो गए।
इन सब बातों को देखा जाए, तो मेरा दिन काफी अच्छा बीता क्योंकि एक ओर फॉलोअप का रिस्पांस भी मुझे अच्छा मिला और अभिभावकों से बात करने के दौरान भी कई चीजें सामने निकलकर आईं।
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