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प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू की जन्मदिन पर मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू से राष्ट्रीय महिला दिवस का गहरा नाता है। वे भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व कवयित्री हैं। उन्हें भारत कोकिला यानी नाइटिंगेल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इतना ही नहीं वे आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल भी रही हैं। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देश को आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। वे हर महिला के लिए प्रेरणापुंज हैं।
जन्म
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को वर्तमान तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय थे जो एक बंगाली ब्राह्मण थे। चट्टोपाध्याय हैदराबाद कॉलेज के प्रिंसिपल भी थे। नायडू की माता वरदा सुन्दरी देवी थी जो बंगाली भाषा में कविताएँ लिखती थी। वे बचपन से बुद्धिमान थीं। नायडू अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उनके दो छोटे भाई वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय तथा हरिंद्रनाथ थे। विरेंद्रनाथ एक क्रांतिकारी थे जबकि हरिंद्रनाथ एक कवि व अभिनेता थे।
शिक्षा
साल 1891 में 12 वर्ष की आयु में सरोजनी नायडू ने दसवीं पास किया। साल 1895 में वे उच्चत्तर शिक्षा के लिए इंग्लैंड गई। इंग्लैंड में पढ़ने के लिए उन्हें एग्जाम चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा स्कॉलरशिप दी गई। इंग्लैंड में पहले किंग्स कॉलेज और उसके बाद गिर्टन कॉलेज में दाखिल हुई। इंग्लैंड में 3 साल पढ़ाई करने के बाद वे साल 1898 में वापस भारत आ गई।
वैवाहिक जीवन
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साल 1898 में सरोजनी नायडू हैदराबाद वापस लौट आई और उसी साल उन्होंने गोविंदाराजुलू नायडू से शादी कर ली। गोविंदाराजुलू एक भौतिक विद थे जो नायडू परिवार से आते थे और सरोजिनी चट्टोपाध्याय परिवार से आती थी। उन दोनों की इंटर-कास्ट मतलब अंतर-जातिय शादी हुई थी। उस समय में अंतर-जातिय विवाह होना बहुत बड़ी बात थी। तत्कालीन समय के रीति-रिवाजों के मुताबिक ऐसे विवाह संभव नहीं हुआ करते थे।
राजनीतिक जीवन
वर्ष 1904 की शुरुआत में सरोजनी नायडू ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी ली। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों एवं शिक्षा के प्रति लोगों को उजागर किया। वर्ष 1914 में वे महात्मा गांधी से मिली, जिनको नायडू ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के सशक्तिकरण के लिए श्रेय दिया।
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वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला प्रेसिडेंट बनी। साल 1917 में उन्होंने मुथुलक्ष्मी रेड्डी के साथ मिलकर भारतीय महिला संगठन की स्थापना की। उन्होंने लखनऊ पैक्ट का समर्थन किया।
लेखन कार्य
12 साल की आयु में ही सरोजनी नायडू ने लेखन का कार्य शुरू किया। उनकी कविताएं इंग्लिश भाषा में लिखी गई हैं। साल 1905 में उनकी पहली पुस्तक द गोल्डन थ्रेसोल्ड को लंदन में प्रकाशित किया गया था। उनकी दूसरी कविताओं की पुस्तक द बर्ड ऑफ़ टाइम को 1912 में प्रकाशित किया गया था।
उनकी कविताओं की तीसरी पुस्तक साल 1917 में प्रकाशित की गई थी। इस पुस्तक का नाम द ब्रोकन विंग था जो मोहम्मद अली जिन्ना को समर्पित थी।
महिलाओं को जागृत करने के लिए उन्होंने साल 1915 में अवैक कविता की रचना की। वहीं साल 1928 में उनकी कविताओं को न्यूयॉर्क में प्रकाशित किया गया।
सर्वप्रथम साल 1918 में, उसके बाद साल 1919 में और उसके बाद साल 1925 में उनके भाषण को पुनः प्रकाशित करवाया गया।
निधन
2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में सरोजिनी नायडू की हृदय-आघात (Heart-attack) के कारण मृत्यु हो गई। उस समय में वह उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल थी।
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