Wednesday, February 22, 2023

पलकः "मेरे पहली पीटीएम ने मुझे कैसे बनाया आत्मविश्वासी"

हमारी एडुलीडर पलक ने अपने पहले पीटीएम का अनुभव साझा किया है, जिसमें उन्होंने ना केवल बाहरी बदलाव बल्कि आंतरिक बदलावों को भी साझा करने का प्रयास किया है। वे लिखती हैं- 

फोटो क्रेडिट- आई सक्षम

मैं पलक बैच-9 की एडूलीडर हूं। आज मैं आप सभी के साथ अपने पीटीएम का अनुभव साझा करने जा रही हूं।पहले तो मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी कि पैरंट्स आएंगे या नहीं आएंगे क्योंकि उस वक्त तक बहुत कम केवल तीन पेरेंट्स ही आए थे।

मैं बार-बार खिड़की से झांक कर देख रही थी और मन ही मन सोचा रही थी कि अभिभावक आएंगे या नहीं फिर कुछ समय बाद धीरे-धीरे पेरेंट्स आने लगे। मुझे अभिभावकों को देख कर बहुत खुशी हुई क्योंकि 27 अविभावक पहुंच चुके थे। 

इसके बाद लोगों ने बातचीत शुरू की। मैं थोड़ी सी नर्वस थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं, कैसे बोलूं और कहां से शुरु करुं फिर जब नाजिया दी ने शुरू किया तो मुझे हिम्मत मिली। इसके बाद हम दोनों ने मिलकर पीटीएम किया। पहले तो मैंने पेरेंट्स की बातों को ध्यान सुनने की कोशिश की और स्वयं में धैर्य लाने का प्रयास किया ताकि मैं उनकी बातों को ढंग से सुन सकूं। 

मुझे अभिभवकों से जो फीडबैक मिला है, उसे भी मैं यहां शामिल कर रही हूं- 

  • बच्चों के कॉपी पर होमवर्क नहीं रहता है।
  • बच्चे स्कूल के समय में घर में रहते हैं। 

मैंने भी उनके सामने अपनी बातों को रखा और अपनी चुनौतियों के बारे में बताया। इसके बाद अविभावकों से राय ली कि बच्चों को कैसे हम और बेहतरीन तरीके से पढ़ा सकते हैं या काम करा सकते हैं। अविभावकों से क्या घर पर योगदान मिल सकता है?

कुल मिलाकर पीटीएम के जरिए मेरे अंदर भी कुछ बदलाव दिखा। मुझे पहले हिचक और घबराहट हो रही थी लेकिन मैंने धैर्यपूर्वक पीटीएम को किया। मुझे अभिभावकों की गंभीरता देखकर भी काफी अच्छा लगा कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर जागरुक थे और शिकायत दर्ज कर रहे थे। इससे ना केवल मेरे प्रति बल्कि दोनों और जिम्मेदारी का आगाज हुआ है। उम्मीद है कि आगे पीटीएम में अभिभावकों की संख्या बढ़ेगी और बच्चे भी शिक्षा के प्रति उत्साहित होंगे। 


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