आज महमदा स्कूल में चल रहे असेसमेंट में शामिल होने गया था। सभी बच्चे टेस्ट दे रहे थे। मौखित और लिखित दोनों परीक्षाएं चल रही थी लेकिन उन सबके बीच में एक लड़की, नई-नई स्कूल ड्रेस पहने, चुपचाप, बहुत सहमी सी, टेस्ट पेपर को निहारे जा रही थी। मानो बहुत डरी हुई हो।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया। यूं ही इच्क्षा हुई उसके टेस्ट पेपर को देखने की। उसका टेस्ट पेपर पूरा खाली था। उसने एक भी सवाल के जवाब नहीं बनाए थे। मुझे लगा अभी-अभी पेपर मिला है। मैंने अपने मन की शांति के लिए पूछा, आपने कुछ लिखा क्यों नहीं? जवाब में सिर्फ सन्नाटा सा छाया था। वह एकदम चुप-चाप नीचे की ओर देखने लगी। मुझे कुछ समझ नहीं आया फिर मैंने उससे पूछा "कोई सवाल समझ नहीं आया क्या?" वो फिर भी एक दम चुप ही रही।
जब मुझे यकीन नहीं हुआ कि..
थोड़ी ही दूर पर बैठी निखत, ये सब देख रही थी। उसने बताया, "भैया इसे स्कूल में आए कुछ ही दिन हुए हैं। अभी कुछ नहीं जानती है। धीरे-धीरे सीख रही है।"
मेरे मन में अनेकों सवाल उमड़ने लगे। जैसे- बच्ची की उम्र लगभग 9-12 वर्ष थी और कुछ दिन से स्कूल आ रही? मतलब क्या वो इसके पहले कभी स्कूल नहीं आई? वह कुछ नहीं जानती? लेकिन क्यों नहीं जानती? अपने मन को शांत करने के लिए मैंने फिर निखत से पूछा, "ऐसा क्यों है कि उस बच्ची को कुछ नहीं आ रहा?"
इस पर निखत ने कहा, "भैया, आर्थिक तंगी के कारण इसके घर वालों ने अभी तक इसे स्कूल नहीं भेजा था लेकिन ये पढ़ना चाहती है। मैंने इसके बारे में अपने बड्डी से भी बात की थी फिर EG (Every Girl Child In School) द्वारा बच्ची को स्कूल लाया गया। काजल ने बहुत मदद की। उन्हीं लोगों ने इसका नामांकन करवाया। मुझे बहुत खुशी हुई कि इसका स्कूल में नामांकन हो पाया, नहीं तो इसके घर वाले इसे कभी स्कूल नहीं भेजते ही। सर ने इसे मेरे ही कक्षा में रखने को कहा है और मैं धीरे-धीरे सीखा रही हूं।"
निखत की भावुक आंखों ने खोले राज
ये सब बोलते-बोलते मानो निखत की आंखे भर आईं हो, जैसे वह बहुत कुछ बताना चाह रही हो। मैंने इस पर अलग से बातचीत करने के लिए कहा क्योंकि आसपास के बच्चे भी बड़े गौर से सुन रहे थे और वो खुद भी ये वाक्या सुन रही थी, जो शायद अनम को असहज कर देता।
मैं खुद कुछ देर के लिए बहुत ही भावुक हो गया था। मैंने 'अनम' से बात की। उसमें पढ़ने की इच्क्षा जागृत होती महसूस हो रही थी। पूरी बात जानने के बाद मुझे बस एक ही बात महसूस हो रही थी कि अगर हम यह कर पा रहे हैं, तो इससे बड़ी बात कुछ हो नहीं सकती, 'Voice and Choice for every women' जैसे प्रमाणित होता प्रतीत हो रहा था।
मैं पूरी टीम को हृदय की गहराई से आभार प्रकट करना चाहूंगा, जो आप-हम कर रहे हैं, वह भले ही किसी के लिए बहुत छोटी बात हो लेकिन यह कहना अतिशियोक्ति नहीं होगी कि हमारा प्रयास अतुलनीय है क्योंकि हम संविधान में मौजूद शिक्षा के अधिकार को घर-घर और जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। भले ही राह में चुनौतियां हैं और बहुत कठिन परिस्थितियां भी हैं लेकिन हम अपने आत्मविश्वास को डिगने नहीं दे रहे।
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