Tuesday, February 21, 2023

काजलः "जब हमें लगा नहीं हो पाएगा बच्चियों का नामांकन"

फोटो क्रेडिट- गुगल 


मेरा नाम काजल है और मैं मुंगेर की रहने वाली हूं। आज मैं आप सबके साथ एक छोटा सा अनुभव साझा कर रही हूं। आज मैं इंद्रुख की बच्चियों का नामांकन करवाने गई थी। मैं और श्रृष्टि कल ही उन बच्चियों का फॉलोअप कर चुकी थी इसलिए आज मैं और अभिषेक भैया एम.एस  इंद्रुख विद्यालय पहुंचे। 

कल ही वहां की मैडम वैदेही देवी जी से बात हो चुकी थी। उन्हें हमारे कार्यक्रम के बारे में जाना और उन्हें हमारे प्रयासों के बारे में जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। उन्होंने कहा, “यह बहुत अच्छा काम है।” हम दोनों भी यह सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुए। अंत में पता चला कि उन बच्चियों का नामांकन विद्यालय में पहले से ही हो चुका है।

मैडम ने किया हमें प्रोत्साहित 

आज मैं और अभिषेक भैया विद्यालय गए। मैडम को फिर से सारी बात बताई और पुनः नामांकन और एसआर नंबर देने को लिए राजी किया। मैडम ने हमारी बातों को समझा और नंबर देने के लिए राजी हुईं। इसके बाद हम लोग इंद्रमुख से हलीमपुर पहुंचे। 

लेकिन राजी नहीं हुए हेडमास्टर

वहां एम.एस हलीमपुर विद्यालय में बच्चियों का नामांकन लेने के लिए हेडमास्टर राजी नहीं हुए। हमने उन्हें बहुत समझाया  लेकिन वे बोले अब 1 अप्रैल से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। फिर हमलोग वहां से निकले और हलीमपुर के एम.एस नानकर, जमालपुर विद्यालय गए। वहां भी हेडमास्टर को तैयार करना बहुत मुश्किल होता जा रहा था, लग रहा था कि नामांकन नहीं ही होगा। 

मुश्किलों के बाद मिली सफलता 

एम.एस नानकर, जमालपुर विद्यालय के हेडमास्टर को अभिषेक भैया ने बहुत समझाया और बहुत प्रयास किया तब जाकर वहां के हेडमास्टर तैयार हुए और वहां की बच्चियों का नामांकन हो पाया। इसके बाद थोड़ा सुकून मिला। तभी अभिषेक भैया और मैं हलीमपुर से गौरीपुर गए लेकिन अभी तक वे बच्चे घर नहीं पहुंचे थे, जिनका नामांकन करवाना था, तब वहां के विद्यालय एम.एस गौरीपुर गए वहां जिन बच्चियों का नामांकन हुआ था, उनमें से कुछ बच्चियों का पूरी जानकारी मिल गई। इस तरह सफलता मिली और उम्मीद है कि आगे भी मिलती रहे।



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