आज मैं (संजू कुमारी) आप सभी के साथ एक छोटा-सा अनुभव साझा करने जा रही हूं। आमस प्रखंड के महुआवां गांव में आज मैं कुछ बच्चे का नामांकन करवाने के लिए गई, जिसमें से कुछ बच्चों का नामांकन पहले ही हो गया था। इस कारण बाकी दो बच्चों का नामांकन किया गया। नामांकन को लेकर हमें हर रोज नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम अपने कर्तव्य पथ पर अडिग हैं और रुकेंगे नहीं क्योंकि हर बच्ची को शिक्षित कराना हमारा कर्तव्य है।
जब मैं विद्यालय में नामांकन के लिए पहुंचे, तो वहां भी चुनौतियां मेरी राहें देख रही थी। वहां पहुंचे तो बताया गया कि आज शिक्षक के अभाव के कारण एस. आर नंबर नहीं दे पाएंगे। साथ ही हमें कहा गया कि आप सभी ऐसे बीच-बीच में आते रहिएगा तब अब एक भी बच्चे का नामांकन नहीं लेंगे। सिर्फ आज भर ले रहे हैं क्योंकि जब लिखकर दे दिए हैं कि अब हमारे पास एक भी अनामांकित एवं ड्राप आउट बच्चे नहीं हैं, तो आप कहां से ऐसे अनामांकित एवं ड्राप आउट बच्चे ढूंढकर ला रहे हैं? और इसके पैसे कौन देता है? मुझसे जब ऐसे सवाल पूछे गए, तब मुझे बहुत बुरा तो लगा लेकिन मैं अपने निश्चिय को लेकर दृढ़ थी।
मैंने चुप रहना जरूरी समझा
मैंने इस विषय पर ज्यादा कुछ बोलने से परहेज किया क्योंकि मुझे ज्यादा उलझनें कि जरूरत ही नहीं है। मुझे तो अपना काम करना है। मुझे पता है कि ऐसी कितने चुनौतियां हमारे साथ आते रहेंगी। इस प्रकार से मुझे तो हर चुनौतियों का पार करते हुए अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए विशेष रूप तैयार रहना है और ध्यान भी रखना है ताकि एक भी बच्चे अनामांकित एवं ड्राप आउट न रह जाएं।
इसके बाद मैं हमजापुर में जाकर अभिभावकों को नामांकन के लिए प्रेरित की। इस पर अभिभावकों ने कहा, क्या आप सभी नामांकन करवाइएगा तभी मेरे बच्चे का नामांकन होगा? हम खुद से नामांकन कराएंगे? हमें अभी भी अनेकों प्रकार की परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि आप क्यों इतना नामांकन के लिए प्रेरित कर रहे हैं? आपको क्या लगता है कि हम खुद नामांकन नहीं करवा पाएंगे?
मेरा मानना है कि हर किसी को अपनी मेहनत पर ध्यान देना चाहिए और चुनौतियों का सामना करना चाहिए-
क्योंकि चौंक जाएंगे मेरी उड़ान देखकर,
ऐसे मैं अपना जरिया बदल दूंगी,
जो मुझे नाकारा समझते हैं एक दिन,
मैं उन सब का नजरिया बदल दूंगी।
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