एडुलीडर्स हर दिन एक नई ऊर्जा के साथ निकलते हैं लेकिन कभी-कभी कोई दिन चुनौतियों से भरा होता है, तो कभी दिन थोड़ा आसान होता है मगर चुनौतियां हर रोज होती है। इसी कड़ी में हमारी एडुलीडर उषा ने अपना एक अनुभव साझा किया है।
मैं उषा, बैच -7 की एडुलीडर हूं। आज मैं आप सभी के साथ एक छोटा सा अनुभव साझा करने जा रही हूं, जिसमें मैंने अपने राहों में आने वाली कुछ चुनौतियों को लिखा है।
आज जब मैं अपने सेंटर पर पढ़ाने गई तो मैंने देखा कि वहां डीजे बज रहा था। डीजे की आवाज बहुत तेज थी, जिस कारण आसपास की आवाज भी अच्छे से नहीं आ रही थी।
डीजे की आवाज से कुछ दूरी बनाने के बाद मैंने बच्चों को बुलाया और उनसे पूछा कि यहां पर डीजे क्यों बजाया जा रहा है, मेरे इस सवाल पर उन बच्चों ने बताया कि वहां श्राद्ध का भोज है, जिस कारण डीजे बजाया जा रहा है। हालांकि यह सुनने के बाद मुझे थोड़ा अचंभा लगा लेकिन फिर मैं अपने काम में लग गई और बच्चों को पढ़ने के लिए कहा।
लोग शराब के नशे में थे
मैंने बच्चों को पढ़ने के लिए बुलाया लेकिन एक भी बच्चे नहीं आए। वहीं बड़े-बुर्जुग लोगों ने भी शराब पी रखी थी इसलिए वे नाच रहे थे। कुल मिलाकर वहां की स्थिति बिल्कुल सामान्य नहीं थी और शायद संभलने वाली भी नहीं थी।
वहीं दूसरी ओर आंगनबाड़ी के बच्चों को भी अभिभावक पढ़ने के लिए बोल रहे थे और मैं भी अपने तरफ से बार-बार बोल रही थी लेकिन बच्चे ना अभिभावक की बात नहीं मान रहे थे और ना मेरी बात सुन रहे थे। मैं आपको बता दूं कि मैं उस वक्त पिछड़े इलाके में थे।
कुछ समय बाद अभिभावकों ने कहा, “आज आप नहीं पढ़ा पाइएगा इसलिए घर चले जाइए।” उनकी बातों से सहमति रखते हुए मैं घर चली गई लेकिन मेरे लिए ये एक चुनौती थी। हमने अक्सर अच्छी बातों को साझा किया है लेकिन हमारी इस बार की ट्रेनिंग में हमें बताया गया था कि आप सिर्फ अच्छी बातें ही नहीं बल्कि अपने चैलेंज को भी शेयर कर सकती हैं इसलिए मैंने अपनी चुनौती को आपके साथ साझा किया।
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