Tuesday, February 21, 2023

Dance Movement Therapy सेशन में तानिया का अनुभवः कलम और मैं

हमारी बड्डी तानिया ने अपना एक अनुभव साझा करते हुए, एक बड़ी ही गहरी बात को बेहद सरल तरीके से करने का प्रयास किया है। हम अपने आसपास कलम रखी हुआ देखते हैं, उससे लिखते हैं, कई डील फइनल करते हैं या कोई भी बड़ा-छोटा काम करते हैं लेकिन उसके दूसरे पहलू को नहीं देखते। आज हम उसके दूसरे पहलू पर बात करेंगे, जो मैंने अनुभव किया है। 

फोटो क्रेडिट- आई सक्षम



आज मैं DMT (Dance Movement Therapy) के दूसरे दिन के सेशन में थीं, जहां मुझे ये अनुभव हुआ कि मेरी पहचान और मेरे अस्तित्व का यथार्थ क्या है? आज की दोनों गतिविधियां मुझे बहुत अच्छी लगी। मैंने काफी इंज्वाय किया और खुद को लेकर सोचा कई बातों पर विचार भी किया। 


कलम और मेरा रिश्ता


आज मैंने एक कलम से स्वयं को जोड़कर देखा। इस दौरान मेरी समझ बनी कि कुछ पदार्थों के मिश्रण से बनी एक कलम की जरुरत हर एक व्यक्ति को होती है लेकिन जब वह खत्म हो जाता है, तो कचरे में चला जाता है। उसके बाद उसका अस्तित्व वहीं खत्म हो जाता है लेकिन उसके दूसरे पहलू को देखें तो पता चलता है कि जिन लिखावटों को हमने लिखा या जिन अक्षरों या अल्फाजों को हमने गढ़ा, वे कभी समाप्त नहीं होते। भले ही वक्त के साथ उनकी चमक कम हो जाती है लेकिन उनका अस्तित्व बना रहता है। उसकी लिखावट कभी नहीं मिटती।   


शायद मेरा जीवन भी ऐसा ही है या होगा। अगर हम जिंदगी में कुछ न करें, तो मेरा अस्तित्व मेरे मरने के बाद मिट जाएगा। इसके विपरीत अगर मैं अपनी जिंदगी में किसी के लिए कुछ करती हूं या अच्छे काम करती हूं, तो मेरी पहचान बढ़ती है और यही कारण है कि मेरा अस्तित्व कभी नहीं खत्म होगा।  


ना मिटे मेहनत की स्याही


देखा जाए, तो कलम एक निर्जीव वस्तु है लेकिन उसके अक्षर सजीव है। ठीक उसी तरह से मनुष्यों का जीवन भी है। अगर हम कुछ ना करें और अपने लक्ष्य के बारे में दृढ़ ना हो, तो हमरा अस्तित्व भी कुछ नहीं है इसलिए जीवन के कोरे पन्नों पर अपनी मेहनत की स्याही को कभी मिटने नहीं देना चाहिए। साथ ही दूसरों के जीवन पर भी अपनी छाप छोड़ना बिल्कुल उसी तरह सेजैसे कोरे पन्नों पर कलम की छाप। मेरा विश्वास करें, इन दोनों को मिटने में काफी वक्त लगेगा। 


तानिया परवीन 


              
तानिया परवीन, हमारी executive-buddy हैं। 

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