Wednesday, February 15, 2023

एक दूसरे से सीखने और सीखाने के भाव का सुंदर अनुभव है आंचल की कहानी







एडुलीडर आंंचल ने अपना एक बेहतर और बेहद सकारात्मक अनुभव साझा किया है, जिसमें वे बता रही हैं कि किस प्रकार उन्होंने बच्चों से सीखा और बच्चों ने भी उनसे सीखा। परस्पर सीखने और सीखाने के भाव के बहुत सुंदर चित्रण है।  

मैं आंचल बैच 9 (मुंगेर) की एडुलीडर हूं। मैं आप लोगों के साथ आज के क्लास रूम का  अनुभव साझा करने जा रही हूं। आज मैं जैसे ही क्लास गई, तो देखा कि दो बच्चे खुद से मेडिटेशन करवा रहे थे। इन दो बच्चों को मैंने नहीं था कि वे मेडिटेशन करवाएं लेकिन वे बड़े ही उत्साह के साथ मेडिटेशन करा रहे थे। 

मैं आपको बताऊं कि इससे पहले मैंं जब भी पूछती थी कि कौन मेडिटेशन कराएगा, तो सारे बच्चे हम करेंगे- हम करेंगे पहले करके शोर करने लगते थे और कभी-कभी तो आपस में झगड़ा भी करने लगते थे। 

मुझे आज का दृश्य देखकर बहुत हैरानी हुई कि आज ऐसा कैसे हुआ? मैंने महसूस किया कि रोज-रोज बच्चों के साथ बातचीत करने और उन्हें प्यार एवं धैर्य के साथ समझाने का फायदा हुआ कि वे आज क्लास में हल्ला भी नहीं कर रहे थे और शांति से अपने जगह बैठकर मेडिटेशन कर रहे थे। साथ ही दो बच्चे अच्छे से मेडिटेशन करवा रहे थे। 

बच्चों ने सुनाया पिछला पाठ

मेडिटेशन के बाद जैसे ही उन्होंने मुझे देखा हमने देखा उन्होंने तुरंत मुझे गुड मॉर्निंग विश किया। वहीं दूसरा बच्चा पीछे जाकर चप्पलों को व्यवस्थित करने करने लगा। साथ ही बाकी बच्चे क्लासरुम को व्यवस्थित करने में लगे हुए थे। मुझे ये बदलाव देख कर अच्छा लगा कि सारे बच्चे अपना काम भी कर रहे थे। 


फोटो क्रेडिट- आई सक्षम

इसके बाद उन्होंने खुद से कहा, दीदी आपने हमें फ्लावर के बारे में बताया था ना। हम सबको सब याद है। आज आप हम सबसे पूछिए। इसके बाद मैंने बच्चों से पिछले पाठ के बारे में पूछा और मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि उन्होंने बिल्कुल सटीक और सही-सही जवाब दिए। इसके बाद मैंने उस दिन का पाठ पढ़ाया और बच्चों ने भी मुझे कुछ-कुछ नयी चीजें सिखाई, जैसे- कागज से चिड़िया बनाना इत्यादि। 

छुट्टी होने के बाद मैं वापस आ गई लेकिन अब मुझे अगले दिन का बेसब्री से इंतजार है कि मैं जल्द बच्चों से ममिलने जाऊं और उनके साथ समय बिताऊं क्योंकि देखा जाए, तो हम दोनों एक दूसरे से सीख रहे हैं। मेरे लिए बच्चों के अंदर तरक्की देखना बहुत सूकुन दायक है क्योंकि उन्होंने मेरे अंदर भी ऊर्जा का स्तर बढ़ा दिया है कि मैं भी रोज उनसे पिछला पाठ पूछूं। 

उम्मीद है कि बच्चे इसी तरह आगे बढ़ते रहेंगे और क्लासरुम की सीख को अपने जीवन में भी अपनाएंगे। 


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