Monday, February 26, 2024

मैत्री प्रोजेक्ट के दुर्गम अनुभव : सीमा

अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान, शिक्षा से ही बन सकता हैं, मेरा भारत देश महान।

नमस्ते साथियों,

मुझे आमस प्रखंड के बड़की-चिलमी, नैनागढ़ के बच्चियों (प्रियंका कुमारी, उर्मिला कुमारी, सोनाली कुमारी) के पैरेंट्स से मिलने पर पता चला कि एक गरीब मजदूर होने के कारण उन्होंने अपनी बच्ची, प्रियंका कुमारी को मगह, धान पीटने के लिए भेज दिया हैं।

यह सुनकर मैंने पेरेंट्स से पूछा कि कब तक आएगी?

उन्होंने कहा कि आज ही आएगी।

मैंने कहा कि आज ही आएगी तो कल से विद्यालय भेजिएगा। यदि आप नहीं भेजेंगें तो मैं खुद ही आउंगी और इसे विद्यालय लेकर जाउंगी।

इतना प्रयास करके मैंने इसका नामांकन करवाया था, इसके बावजूद आपलोग अपने बच्चे को विद्यालय नहीं भेज रहे हैं। क्या यह एक अच्छी सोच है?                                                        

आप अभिभावक हैं! खुद सोचिए कि पढ़ाई हमारे जीवन के लिए कितनी महत्वपूर्ण है? अगर आप अपने बच्चे को एक दिन भी किसी कारणवश विद्यालय से वंचित करते हैं तो मानिए कि आप उसका भविष्य खराब कर रहें हैं। जिस दिन आपको शिक्षा का महत्व पता चलेगा, उस दिन आप अपने बच्चे को शिक्षित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगायेंगें।

इतना समझाने के बाद पैरेंट्स बोले कि दीदी आप बिल्कुल सही बोल रहे हैं। क्योंकि आप जो भी कार्य कर रहे हैं वह समाज सेवा है और सराहनीय है। आप हमारे बच्चे का भविष्य बने, इसलिए इतनी मेहनत कर रहें हैं।

मैं हमेशा यही सोच रखती हूँ कि हमारे द्वारा की गयी समाजसेवा से हर घर, हर गाँव, हर समाज के सभी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर, एक अच्छा नागरिक बनें। जिससे मुझे ख़ुशी मिलेगी और हमारा उद्देश्य भी पूरा होगा। मैंने अपने जीवन में आज तक जो भी कार्य किये बहुत ही जिम्मेदारीपूर्वक और ईमानदारी के साथ किये।

आगे भी मैं ईमानदारी के साथ कार्य करुँगी, तभी मुझे खुद पर और अपने काम पर गर्व होगा। यही कार्य मुझे खुश भी रखेगा। समाज में सबसे बहुमूल्य चीज यदि कुछ है तो वो है "ज्ञान"। मानव के मूलभूत अधिकारों में ज्ञान की प्राप्ति प्राथमिकता में होनी चाहिए। हर व्यक्ति का पहला सपना शिक्षित व्यक्ति बनने का होना चाहिए क्योंकि शिक्षित व्यक्ति ही समाज में परिवर्तन ला सकता है। विद्यार्थियों को ऐसे विचारों के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए, जिनके बारे में पढ़कर विद्यार्थी शिक्षित होने की राह में खुद को प्रेरित कर सकते हैं। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें सफलता की ओर अग्रसर करती है।

शिक्षा ही संसार में हमें श्रेष्ठ बनाती है सिर्फ किताबी ज्ञान ही शिक्षा नहीं होता, अपितु हमारा मानसिक विकास भी सफलता के लिए आवश्यक है। शिक्षा पाकर आप स्वयं को प्रेरित करने के साथ-साथ, समाज शिक्षा जैसे मूल अधिकारों के लिए अन्य लोगों को जागरूक कर सकते हैं। बच्चे वही सीखते हैं, जो आसपास देखते हैं। माहौल और रहन-सहन का उनपर काफी प्रभाव पड़ता है। बच्चे की सही संगत उसके व्यक्तित्व के विकास में अहम भूमिका निभा सकती है। बच्चा किसी भी काम को करने में पीछे रहता है, तो पेरेंट्स को तरीका बदलने की जरूरत है।

 

इसीलिए कहा गया है-

संग बड़े बचपन के साथी,

कौन, कहाँ कल आएगा।

स्कूल में जो संग बिताया,

वक्त बहुत याद आएगा।।

 

सीमा
टीम सदस्य, गया

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