Monday, February 26, 2024

फील्ड वेरिफिकेशन में गुरुदेव ने बहुत मदद की : Kritika

आज मैं आप लोगों के साथ अपने फील्ड विजिट का अनुभव साझा करने जा रही हूँ जैसा कि आप सभी को पता है कि अभी 7 से 14 वर्ष के बच्चो का वेरिफिकेशन करना है कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं या फिर नहीं। नहीं जा रहे हैं तो क्या कारण है?

तो आज मैं सबसे पहले तो इटहरी गाँव वेरिफिकेशन के लिए गई थी। गाँव जाकर मैं कुछ बच्चों के अभिभावकों से मिली और बच्चो के बारे में पूछा तो पता चला कि बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं। 

फिर मैं वहाँ से करहरिया गाँव, नीरपुर गाँव और कुमारपुर गाँव के लिए निकल पड़ी। सबसे पहले मैं कुमारपुर गाँव गई, फिर वहाँ से नीरपुर गाँव गई। वेरिफिकेशन करने के बाद मैं रघुनाथपुर गाँव के लिए चली गई, वहाँ जाकर मैं सारे बच्चों का डाटा देखकर, हर एक के घर गई। दो-तीन बच्चो का वेरीफिकेशन करने के बाद, मुझे चौथे बच्चे के घर जाना था, जिसका नाम गुरुदेव कुमार था।

जब मैं गुरुदेव कुमार से जब मिली तो वह अपने घर के बाहर सारे बच्चों के साथ कंचे खेल रहा था। मैंने उसे जब उसके पिता का नाम बताया तो उसने मुझे कहा कि हाँ दीदी, यह मेरे ही पिता जी का नाम है।

फिर वो अपनी माँ को बुलाकर लेकर आया तो मैंने उनसे नामांकन ना होने की वजह पूछी। उन्होंने मुझे अपने नामांकन न करने की वजह बतायी।

उसके बाद मैं दूसरे बच्चों के लिए जब वेरिफिकेशन के लिए जा रही थी तो मुझे बच्चों का घर नहीं मिल रहा था। बहुत सारे अभिभावक कभी इस गली में जाने को बोलते थे तो कभी उस गली भेज देते थे।

जिससे मैं बहुत परेशान हो गई थी क्योंकि एक ही गाँव में मुझे 10 चक्कर लगाने पड़ रहे थे और मेरा टाइम भी जा रहा था। मुझे परेशान देखकर गुरुदेव कुमार ने मेरी मदद करने की सोची। 

उसने बोला कि दीदी, मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। क्योंकि मुझे पता है मेरा गाँव है तो आप चलिए मेरे साथ और वह मेरे साथ पूरे गाँव के बच्चों को ढूंढने में मेरी मदद करने लगा”।

उसने मेरी काम आसान कर दिया और यह देख मुझे बहुत अच्छा लगा कि वह बच्चा काफी एक्टिव था और मुझसे बार-बार पूछ रहा था कि दीदी मेरा एडमिशन आप पक्का करवा दीजिएगा ना?

क्योंकि मुझे पढ़ना अच्छा लगता है। मैं आगे पढ़ना चाहता हूँ। तो मैंने भी उससे कहा कि हाँ मैं तुम्हारा नामांकन करवा दूँगी। जिसे सुन गुरुदेव बहुत खुश हुआ और फिर मैं वहाँ से ऑफिस के लिए निकल पड़ी।

जब मैं ऑफिस के लिए आ रही थी तो फिर उसने मुझे कहा कि दीदी आपको कभी भी मेरी इस गाँव में मेरी मदद की जरूरत पड़े तो आप मेरे घर आ जाइयेगा। मैं आपकी मदद करूंगा। यह सुन मुझे भी काफी खुशी हुई और मैं उसे धन्यवाद बोलकर निकल पड़ी।

कृतिका कुमारी
मुंगेर

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