प्रिय साथियों,
मैं आप सभी के साथ अपने क्लस्टर का अनुभव साझा करने जा रही हूँ। मेरे क्लस्टर का नाम पावर ऑफ एडु-लीडर्स है। हमने मीटिंग की शुरुआत मेडिटेशन से की। ज़ेबा दीदी, सुप्रिया दीदी और मैंने सांझा किया कि पिछ्ले महीने ऐसा कौन सा पल था, जिसे याद करके हमें खुद पर बहुत ज्यादा प्राउड (proud) फील हुआ।
उसके बाद हम सभी ने एक-दूसरे से बढ़ते कदम शेयर किया। एक-दूसरे को फीडबैक देकर पिछले एजेंडा पर बातचीत करने लगे। पिछले महीने हमारा एजेंडा था कि हम 30 किशोरियों को पढ़ाई से जोड़ें,उनका नामांकन (enrolment) करवायें।
सभी के अनुभव सुनकर निन्मलिखित चैलेंज निकल कर आये:
• गाँव में वैसी लड़कियाँ नहीं मिली जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी।
• बहुत सारी लड़कियों का आधार कार्ड नहीं बना है।
• बहुत सारी लड़कियों का बैंक में अकाउंट नहीं बना है।
• मुझे भी अपनी कम्युनिटी में एक भी ऐसी लड़की नहीं मिली जिसने पढ़ाई छोड़ दी हो लेकिन मुझे दूसरी समस्या का सामना करना पड़ा। मुझे 20-22 बच्चे ऐसे मिले जो आंगनवाड़ी भी नहीं जाते थे।
• हमारे गाँवों में हम अपना एजेंडा कंप्लीट नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि लड़कियाँ मिल नहीं रही हैं। इसलिए हम लोग दूसरे गाँव जा रहे हैं पर इसके लिए हमें ऑटो के किराये की जरूरत है।
• बहुत सारी लड़कियों की फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं है, इस वजह से उनको पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
• दो ऐसी लड़कियाँ भी मिली, जिनकी उम्र 15 से 18 साल है लेकिन उन्हें अपना नाम भी लिखना नहीं आता।
• बहुत लड़कियों के पास CLC ना होने की वजह से वो आगे की कक्षाओं में नामांकन नहीं करा पा रही हैं।
इन समस्याओं को जानने के बाद हमने अगले एजेंडा पर बात की। हमारा अगला एजेंडा है कि 30 लड़कियों का एनरोलमेंट करवाना। फिर हमने डीब्रीफ किया। अंत में हम सभी ने क्लस्टर फॉर्म भरे।
क्या अच्छा हो सकता था?
• हमारे क्लस्टर में बहुत सदस्य ऐसे हैं जो क्लस्टर को सीरियस नहीं ले रहे हैं। जिस दिन मीटिंग होती है उसी दिन वह बताते हैं कि वह नहीं आने वाले हैं। बहुत सारी एडु-लीडर्स और बडी, टाइम पर क्लस्टर में मौजूद नहीं होती हैं।
क्या अच्छा हुआ?
• उपस्थित सदस्यों ने अपना बढ़ते कदम अच्छे से शेयर किया।
• सभी ने कम्युनिटी के चैलेंज शेयर किये।
• सभी कोआपरेट (cooperate) कर रहे थे और सपोर्ट करने के लिए तक तत्पर थे।
संध्या कुमारी
बैच- 10, बेगूसराय
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