प्रिय दोस्तों,
आज मैं आप सभी को अपना पर्सनल अनुभव साझा कर रही हूँ। 9 जनवरी की रात में, मैं मेडिकल से अपनी बहन के साथ आ रही थी। तभी बीच रास्ते में तीन लड़के खड़े थे, मैंने हॉर्न बजाकर उन्हें हटाना चाहा। फिर भी वो रस्ते से नहीं हटे तो मैंने उन्हें बोला कि “हटो न! चोट लग जायेगी तो फिर मुझे ही बोलोगे”!
इतने में एक लड़का बोला, “दम है तो रुक कर दिखाओ! अभी तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाता हूँ”! हम रुके और बोले आओ, रुक गए हैं। वो दौड़कर आया और बोला एक थप्पड़ मारूँगा न तो होश उड़ जायेगा।
मैंने बोला कि तुम छू-कर तो दिखाओ। तुम्हारे हाथ-पैर यहीं पर तोड़ कर रख दूँगी। वहाँ मैंने अपनी वॉइस (voice) बुलंद रखी, ताकि सामने वाले व्यक्ति को यह नहीं पता चले कि हम उससे डर गए हैं।
फिर दूसरा लड़का दौड़ के आया और उसके कान में कुछ बोला। हमसे बोलने लगा कि दीदी गलती हो गयी है। हम इसको समझा देंगें। आप जाइये। इसको माफ़ कर दीजिये।
इस अनुभव से मुझे यह समझ आया कि समस्या चाहे कैसी भी हो, आप यदि गलत नहीं है तो आपको अपनी आवाज को बुलंद रखना चाहिए। कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा।
प्रियंका कुमारी
बैच-9, मुँगेर
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