Monday, February 26, 2024

हम, देश और गणतंत्र : Poem by Aditya Tyagi

         हम, देश और गणतंत्र


बेहतर सदा करते रहें, मन, वचन और कर्म से,

हर क्षण को समझें, करेंसंविधान के मर्म से।

हम में कर कोई है, प्रगति और बदलाव का नायक,

चलो थोड़ा और बनाएं अपने कोप्रकृति और देश के लायक।

जिस पर हो पीढ़ियों को गर्व, घर, गाँव, मोहल्ला, देश बनाएँ,

छोटी-बड़ी, हर मुश्किल को, मिल कर के सुलझाते जाएँ।

सीखना और सीखना है, आगे बढ़ने का मंत्र,

अहं से बड़ा वयम्, वयम् से बड़ा गणतंत्र।

आदित्य त्यागी

टीम सदस्य

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