जीवन-मृत्यु
धूप में बीता एक समय,
छाँव में चला दूसरा,
मृत्यु की रेखा से,
जीवन का मेला जुड़ा।
समय की गति,
बदलती हर समय,
जीवन की मिठास,
बसी है यही कहानी के साथ।
जीवन के धागे,
उलझे हुए संसार में,
हर कदम पर नई राह,
हर पल में है नया सफर।
चमत्कारों का आश्रय
नहीं,
है जीवन का सत्य,
धागों का समूह,
है जीवन की सही पहचान।
मृत्यु एक सरल रेखा,
जीवन एक कठिन कहानी,
पर उन उलझे हुए
धागों में, बसी है अनगिनत माया।
धर्मवीर कुमार
टीम सदस्य, गया
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