Monday, February 26, 2024

शिक्षा का द्वितीय अवसर: Juhi From WAYAM

यह कहानी बिहार के जमुई जिले के एक छोटे से गाँव चौडिहा में रहने वाली दौलती नाम की एक लड़की की है। दौलती ने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की, लेकिन उसके बाद पढाई छोड़ दी और घर के कामों में लग गई। दौलती के माता-पिता हमेशा चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़े-लिखे और जीवन में सफलता प्राप्त करे। वे उसे समझाते थे कि शिक्षा जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।

पुनः शिक्षा की शुरुआत:

एक दिन, वयम् संस्था के दो सदस्य दौलती के गाँव में फील्ड विजिट के लिए गए। वहाँ उन्होंने गाँव की किशोरियों से मुलाकात की और उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश की।

जब सभी किशोरियाँ अपनी शिक्षा के बारे में बता रही थीं, तब दौलती चुपचाप बैठी उन्हें सुन रही थी। वयम् सदस्यों ने दौलती से पूछा कि वह क्यों नहीं बोल रही है? तो वह चुप हो गई।

गाँव के कुछ लोगों ने कहा कि वह पढ़ती ही नहीं है और उसने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है। बार-बार पूछने पर भी दौलती कुछ नहीं बोल रही थी। अंत में, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह फिर से अपनी पढ़ाई शुरू करना चाहती हैं? तो उन्होंने हाँ में जवाब दिया।

दौलती उसी गाँव की किरण दीदी, जो वयम् की सदस्य भी हैं, के पास पढ़ने के लिए जाने लगी। किरण दीदी ने दौलती को न केवल पढ़ाई में मदद की, बल्कि उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित किया।

दौलती की कहानी हमें सिखाती है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। दौलती को जब मौका मिला तो फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी। 

यह कहानी हमें प्रेरणा देती है कि हम भी अपनी शिक्षा को महत्व दें और जीवन में सफलता प्राप्त करें। दौलती की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें सिखाती है कि शिक्षा जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है। हमें कभी भी शिक्षा को नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों।

जूही कुमारी 
जमुई, वयम् कोऑर्डिनेटर 


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