Wednesday, February 21, 2024

I-सक्षम संस्था एवं Voice & Choice

 प्रिय दोस्तों,

मैं आप सभी के साथ voice and choice का अनुभव साझा करने जा रही हूँ। मैं, आप सभी को बताना चाहूँगी कि i–सक्षम की ओर से हर साल टीम को कहीं न कहीं ट्रिप (trip) पर ले जाया जाता है। ताकि हमलोग गुरजने वाले साल को मजेदार और यादगार तरीके से विदा कर सकें।

हर साल की भांति इस साल भी हम सभी को i-सक्षम की ओर से घूमने जाने का मौका मिला। पहले हम सभी से पूछा गया कि आप लोग क्लस्टर ग्रुप से जाना चाहते हैं या i-सक्षम की पूरी टीम के साथ जाना चाहते हैं तो हम सभी के कहे अनुसार टीम ने एक साथ घूमने जाने का तय किया।

सभी लोग अपना तर्क-वितर्क रख रहे थे। कोई राजगीर जाने के लिए बोल रहा था तो कोई पटना म्यूजियम तो कोई बोल रहा था कि मंदार पर्वत जाना है। पर सबसे ज्यादा लोग मंदार पर्वत को मिली। दीदी भी बोली कि ठीक है, हम सभी मंदार पर्वत ही चलेंगे।

मैं बहुत ज्यादा खुश हुई क्योंकि हम सभी के विचार-विमर्श से निकल कर आया कि मंदार पर्वत घूमने जाएंगे। फिर कुछ दिन बाद एक कॉल रखा गया और हमें बताया गया कि हम लोगों को मंदार पर्वत नहीं बल्कि कुप्पाघाट जाना हैं।

साक्षी दीदी सभी से पूछ रही थी कि किस-किस को कुप्पाघाट जाना है? मैंने उसमें अपनी राय देते हुए अपना पक्ष रखा कि मुझे कुप्पाघाट नहीं जाना है, “मुझे मंदार पर्वत जाना है”। 

साक्षी दीदी ने मुझे बहुत समझाया। आप तो जिद करके बैठ गयी हैं!

क्या आपको मंदार पर्वत ही जाना है?

साक्षी दीदी के द्वारा समझाए जाने के बाद भी मैं अपनी बातों पर अड़ी रही। मेरा कहना था कि जाएंगे तो मंदार पर्वत ही जाएंगे! नहीं तो कहीं नहीं!

उसी शाम को मेरी बड़ी नाज़िया दीदी की कॉल आया। उन्होंने मुझे समझाने के लिए ही कॉल किया था। वो बहुत प्यार से मुझे समझा रही थी और मुझे जिद ना करने की सलाह भी दे रही थी। वो बोल रही थी कि हम सभी एक टीम हैं, 150 एडु-लीडर्स की जिम्मेदारी हम लोगो पर है। 

उन्हें उत्तर देते हुए मैंने कहा कि मेरी समझ के अनुसार तो i-सक्षम Voice & Choice for every women पर काम कर रही है। लेकिन यहाँ तो उल्टा ही हो रहा है। मेरी ही बातों को दबाया जा रहा है। और जब टीम मेम्बेर्स की बातों को दबाया जा रहा है तो फिर हमारी संस्था Voice & Choice पर काम कर ही क्यों रही हैं? 

ये सब बात मेरी, नाज़िया दीदी से हो रही थी। नाज़िया दीदी ने मुझे बहुत समझाया। फिर भी मैं अपनी बात पर अड़ी रही। 

अगले दिन हमारी क्लस्टर मीटिंग थी। मीटिंग समाप्त होने के बाद जब हम घर पहुँचे तो मेसेज से पता चला कि हम सभी कुप्पाघाट नहीं, मंदार पर्वत जा रहे हैं। मुझे यह सुनकर बहुत ख़ुशी हुई कि voice को सुना गया और उसे ही choose किया गया।


इस लेख के माध्यम से मैं, i-सक्षम संस्था की सम्पूर्ण टीम को मेरी voice सुनने के लिए आभार व्यक्त करना चाहती हूँ।

सरिता कुमारी 
बैच- 9, मुँगेर


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