प्रिय साथियों,
मैं आप सभी के
साथ एक अनुभव साझा करना चाहती हूँ। आंगनवाडी के हड़ताल
पर जाने के बाद मैं अपने बच्चों से संपर्क में नहीं थी। जब मैंने बच्चों के
अभिभावकों से मिलने जाने का प्लान (plan) बनाया तो मुझे बहुत डर लग रहा था कि मैं पहली बार अभिभावकों से
मिलूँगी तो उन्हें क्या कहकर समझाउंगी। बैच-10 (A) की एडू-लीडर, लक्ष्मी दीदी ने मेरी सहायता की। हम दोनों
साथ में ही बच्चों के अभिभावकों से मिलने गए। हम बच्चों के अभिभावकों से मिले और
उनके सामने अपनी समस्या रखी कि हमें कोई एक ऐसी जगह (Space) चाहिए जहाँ हम आपके बच्चों को पढ़ा सकें। आप तो
जानते ही हैं कि आंगनवाडी हड़ताल पर है।
थोड़ी-बहुत
देर बातचीत करके, जगह ढूंढ़कर हमें रूचि दीदी के घर में पढ़ाने की जगह मिली।
हमने सभी बच्चों को एकत्रित किया और पढ़ाया। हमें अपना काम बनते देख बहुत ख़ुशी हो
रही थी और बच्चे भी हमें देखकर, पढ़कर बहुत खुश हुए। बच्चे हमसे प्रश्न पूछ रहे थे
कि दीदी आप इतने दिनों से हमें पढ़ाने के लिए क्यों नहीं आ रहे थे? हमनें उन्हें
बताया कि आंगनवाडी हड़ताल पर है ना इसलिए हम नहीं आ रहे थे।
बच्चों
ने यह भी बताया कि उन्होंने दुर्गा पूजा और दीपावली की छुट्टियों में किस प्रकार
आनन्द लिया। जब हम पढ़ाने के लिए जाते थे तो हमारे कुछ साथी कहते थे कि तुम
पढ़ाने क्यों जाती हो? अभी तो आंगनवाडी हड़ताल पर है। फिर भी हम जाते थे, बच्चों को
पढ़ाते थे। हमें भी अच्छा लगता था, बच्चों और उनके अभिभावकों को भी। हम
लगभग एक महीने तक बच्चों को सेंटर पर पढ़ाये, बच्चों के साथ-साथ, अभिभावकों के साथ
भी प्रतिदिन मिलना जुलना हो ही जाता था और मुझे बहुत ख़ुशी भी होती थी।
अब,
आंगनवाडी की हड़ताल समाप्त हो गयी है और हम वापस से आंगनवाडी में पढ़ाना शुरू कर
दिये हैं। जब हम रास्ते से जातें हैं तो हमारे पुराने सेंटर के आसपास के अभिभावक
हमसे पूछते हैं कि आप अब पढ़ाने क्यों नहीं आते हैं? हमने उन्हें बताया कि अब
आंगनवाडी की हड़ताल समाप्त हो गयी है इसलिए हम आंगनवाडी में ही बच्चों को पढ़ाते
हैं। अभिभावक बोले कि ठीक है। आप आंगनवाडी में ही हमारे बच्चों पर ध्यान दीजियेगा।
अब मुझे अभिभावकों से मिलने में कोई डर या हिचक नहीं होती है। मुझे कोई अपने बच्चे के बारे में या मेरे बारे में कुछ
पूछता है तो मैं अच्छे से बात कर पाती हूँ। बात करके मुझे अच्छा भी लगता है
और मैं स्वयं को पहले से अधिक सक्षम पाती हूँ। मुझे होम सेंटर (home centre) चलाने में मेरी बडी, निधि दीदी ने बहुत सहयोग किया
है। मैं उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करती हूँ। मैं सेंटर चलाने वाली बात
सोचकर खुश भी होती हूँ और मुझे लगता है कि आगे भी किसी प्रकार की जरुरत पड़ने पर
मैं स्वयं ही सेंटर चला पाऊँगी।
ज़ीनत
बानो
बैच-
10 B
8
दिसंबर, 2023
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