प्रिय साथियों,
आज मैं अपने विद्यालय के अभिभावक शिक्षक मीटिंग (PTM) के अनुभव को आपके साथ साझा करना चाहती हूँ। मैंने अपनी कक्षा के बच्चों को प्रात: 10:45 तक अपने अभिभावकों को उपस्थित रहने के लिए बोला था। मुझे बच्चों ने बताया कि कुछ अभिभावकों को उनके बच्चे सूचित कर पाये और कुछ बच्चे भूल गए।
मैंने फ़ोन (phone) करके कुछ अभिभावकों को बुलाने का प्रयास किया। लगभग 20-30 मिनट बाद अभिभावक, मीटिंग (meeting) के लिए आना शुरू हो गए। मैंने 11:15 से 12:45 तक मीटिंग ज़ारी रखी।
अब
मैं इन डेढ़ घंटे का अनुभव साझा कर रही हूँ। सबसे पहले मैंने उनका स्वागत किया और
उन्हें बैठने के लिए बोला। फिर मैंने अपने बारे में बताया कि मेरी इस विद्यालय
में क्या भूमिका (role) है?
मैं किस संस्था से हूँ? मैं किस प्रकार बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित (motivate) करती हूँ?
इतने
में ही अभिभावकों के प्रश्न आने शुरू हो गए। मैंने बारी-बारी से सबका उत्तर दिया,
जो सभी को बहुत अच्छा लगा। कुछ अन्य बातों पर भी साझेदारी हुई। जैसे- आपके
बच्चे प्रतिदिन विद्यालय क्यों नहीं आते हैं? आपके बच्चों की कमजोरी क्या है? आप
अपने बच्चों पर कितना ध्यान दे रहें हैं? हम आपके बच्चों को कितना समझा पा रहें
हैं? मेरे विद्यालय आने से आपके बच्चे में कोई बदलाव आपने देखा है तो वो
साझा कर सकते हैं, आदि।
(चित्र: अभिभावक शिक्षक मीटिंग के बाद ली गयी सेल्फी)
मुझे
इस PTM को संचालित
करके बहुत अच्छा लगा क्योंकि ये मेरी पहली PTM थी। इसको कंडक्ट (conduct) कराने के बारे में बहुत दिनों से सोच रही थी लेकिन करवा नहीं पा रही
थी। दीदी ने हेडमास्टर से बात करके मुझे सहयोग किया और
वो मेरी PTM में भी उपस्थित
रहीं। जिसके परिणामस्वरूप मैं महीने के शुरुआत में ही
ये मीटिंग रख पायी। मैं दीदी को धन्यवाद कहना चाहूंगी। इस PTM के लिए मुझे मेरी बडी, अंशिका
दीदी ने भी PTM से एक
रत पहले फ़ोन कॉल करके कुछ महत्वपूर्ण सलाह दी थी। मैं उनका भी धन्यवाद करना चाहूंगी और मेरे इस अनुभव को
पढ़ रहे साथियों से फीडबैक (feedback) पाने की अपेक्षा रखूंगी।
तन्नु प्रिया
बैच- 10, बेगूसराय
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