Thursday, January 18, 2024

क्या जमाना आ गया है! बहू, सास को पढ़ा रही है।

नमस्ते      नमस्ते साथियों, 

मैं, अपनी क्लस्टर मीटिंग में तय किये गए लक्ष्य को पूरा करने के लिए किये गए एक प्रयास का अनुभव साझा कर रही हूँ। आज मैं जब अपने गाँव जा रही थी तो रास्ते में एक महिला गोबर के गोयठा (उपला, कंडा) थाप रही थी और किसी अन्य महिला से बात कर रही थी कि आधार कार्ड से अंगूठा देकर पैसा निकलने से, बैंक खाते से पैसा कट जाता है। बैंक में भी हम किसी फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं कर पाते हैं। दूसरी महिला बोली, “तो क्या करें”। पैसा ही ना कटता है।

इतनी बात सुनकर हम वहाँ रुक गए। मैंने उन्हें बोला कि माता जी आप हस्ताक्षर करना सीख लीजिये।

तो वो हँसने लगी और बोली हमसे नहीं होगा!

तभी उनका छोटा बेटा आया और यह सब देखकर बोला कि “क्या जमाना आ गया है, सास को बहू पढा रही है!”
तो मैंने उससे कहा कि बेटा तो पढ लिया है लेकिन माँ को  एक हस्ताक्षर की वजह से परेशानी हो रही है वो नज़र नहीं आती?

आपकी माता जी यदि हस्ताक्षर करना सीख जायेगी तो वह अपने बैंक खाते से सुविधानुसार पैसा निकाल पायेगी। कोई एक्स्ट्रा पैसा भी नहीं कटेगा।
आपको भी अभिभावकों के हस्ताक्षर की जरुरत पड़ सकती है। इसमें सास-बहू वाली बात कहाँ से आ गयी? इसमें तो आप ही की भलायी है न!

इस तरह से थोड़ी बातचीत भी हो गयी और शुमा देवी जी करीब एक घंटे प्रयास करने के बाद हस्ताक्षर करना भी सीख गयीं। अपना नाम लिखना सीखकर वो बहुत खुश थी और हमें बोल रही थी कि आज कितना अच्छा काम आपने किया है। हम भी लिख सकते हैं, ये हम आज समझे। 
मुझे भी माता जी की ख़ुशी देखकर बहुत ख़ुशी महसूस हुई और इस काम को करने से भी बहुत गर्व हुआ, प्रसन्नता हुई।

प्रियंका
बैच- 10, मुँगेर  


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