मैं आप सभी के साथ एक छोटा सा अनुभव साझा करने जा रही हूँ। मेरे विद्यालय का नाम मध्य विद्यालय नावगढ़ी (उर्दू) है। पिछले वर्ष हमारे विद्यालय में ‘बाल दिवस’ नहीं मनाया गया था। मुझे अच्छे से याद है कि बच्चों को किसी प्रकार की टॉफी, चॉकलेट नहीं बाँटी गयी थी। बाल दिवस मनाने के लिए मैंने हेडमास्टर सर के सामने अपनी voice & choice उठायी थी।
कुछ
दिन पहले बच्चों ने बहुत उत्साहपूर्वक शिक्षक दिवस मनाया था। शिक्षक दिवस के लिए
भी मैंने सभी शिक्षकों व हेडमास्टर के सामने आवाज़ उठायी थी। जब शिक्षक दिवस मनाया
जा रहा था तो बच्चों का उत्साह देखकर मैंने सर को कहा कि देखिये सर, सभी बच्चों
ने मिलकर कितने बढ़िया से शिक्षक दिवस मनाया है। इसी प्रकार हमें भी बच्चों
के लिए बाल दिवस मनाना चाहिए। बाकी शिक्षकों ने भी मेरी voice का साथ दिया। तो हेडमास्टर सर भी मान गए कि हाँ, चलो इस बार बाल दिवस मनायेंगें।
खुशबू ठीक बोल रही हैं।
आज
विद्यालय आते समय मुझे याद था कि आज 14 नवम्बर है परन्तु पिछले दिन बाल दिवस मनाने
के लिए कोई विशेष तैयारी तो नहीं की गयी थी। कुछ बच्चों ने बताया कि हेडमास्टर सर
ने बच्चों को बोलकर रखा हुआ था कि खुशबू दीदी को बाल दिवस मनाने के बारे में नहीं
बताना है।
जब
मैं अपनी कक्षा में गयी तो बच्चों को बाल दिवस की बधाईयाँ दी। बच्चे बहुत खुश थे
और मुझसे प्रश्न करने लगे कि दीदी, क्या आपको पता है कि आज क्या होने वाला है?
मैंने
कहा, नहीं। मुझे नहीं पता! बताओ मुझे कि क्या होने वाला है?
बच्चे
बोले कि आज बाल दिवस मनाया जायेगा। दूसरी कक्षा में जाकर देखिये कि कैसी-कैसी
तैयारियां चल रही है। गुब्बारे से सजाया हुआ है। केक भी आया है।
मुझे यह सुनकर बहुत ख़ुशी हुई और मैं तुरंत दूसरी कक्षा में जाकर देखने लगी। यहाँ तो सही में ऐसी ही तैयारियां चल रही थी। बच्चे कक्षा को सजा रहें थे।
फिर
मैं वापस अपनी कक्षा में आयी और बच्चों से पूछा, आज आप क्या करना चाहेंगें?
आज आप लोगों का दिन है। कुछ बच्चे बोले कि डांस (dance) करना चाहेंगे और कुछ बोले कि आज आर्ट (art) करेंगें। हमने कहा कि ठीक है। पहले आर्ट कर लीजिये, फिर डांस
करेंगें।
कुछ
ही देर में केक काटने का समय हो गया। बच्चों ने केक काटा और मिल-बाँट कर खाया। मैं
हेडमास्टर सर को केक देने गयी तो मैंने देखा कि सर पूरी बेल रहे थे। मैंने सर को
कहा कि सर आप दूसरा कार्य देखिये, हम पूरी बेलते हैं।
हम
और सोनम पूरी बेलने लगे। कुछ ही देर में लंच (lunch) का समय हो गया। सभी बच्चे लंच करने चले गए और हम अपने घर आ गए। यह सब
होता देखकर मुझे भीतर से बहुत ख़ुशी हो रही थी। यही मेरा बाल दिवस का अनुभव रहा।
खुशबू कुमारी
बैच-9, मुंगेर
14
नवम्बर, 2023
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