सुनो, चलो
हर साल की भाँति यह साल (2023) भी अपने अंतिम पड़ाव पर है और कहा भी गया है,
जो आया है, उसे जाना ही पड़ेगा। पर हर
साल की तरह यह साल भी हमारे जहन में बहुत से सवालों और उलझनों की एक पोटली छोड़
जाएगा और उस पोटली
में सबसे अव्वल स्थान पर जो रहेगा, वह यह होगा
कि यह साल भी जाने वाला है और मैने कुछ बड़ा नहीं किया....?
पर सुनो
ना, क्या तुम्हें याद है?
जिन नन्हें-नन्हें
सपनों के साथ जब तुमने अपने सपने का पहला बीज बोया था, आज वह एक पेड़ बन कर तुम्हारे साथ तन कर खड़ा है। देखो ना उस सपने के पेड़ पर कितने हरे-हरे पत्ते हैं।
हाँ, कुछ
पत्ते अभी भी मुरझाए हैं। पर सुनो, उन मुरझाए पत्तों को देखकर कभी
अपने आत्मविश्वास को मुरझाने मत देना। क्योंकि तुम्हें याद है क्या जब तुमने उन नन्हें सपनों के साथ अपने सपनों
के बीज को बोने के बाद जब उसे सींचने को निकली थी और जाकर पहला दरवाजा खटखटाया।
दरवाजा
खुलते के साथ उन्होंने तुम्हारी क्षमता पर शक किया। क्योंकि तुम (एक बहु, बेटी, पत्नी, माँ,
बहन) और इन सब से परे एक महिला हो। तुम्हारे आत्मविश्वास को जोर से धक्का दिया।
पर तुम्हें
याद है ना, तुम्हारे
साथ हमेशा एक छोटे से परिवार का पूरा हिस्सा खड़ा रहा। उसने तुम्हारे
आत्मविश्वास को पहले से और भी ज्यादा मज़बूत किया
और तुमने फिर उस दरवाजे को अपनी पूरी
(ताकत, क्षमता, प्यार, सम्मान और आत्मविश्वास) के साथ खटखटाया। इस बार दरवाजा खुला तो उसने तुम्हारे बोये हुए बीज के अंकुरित होने
की शुरुआत हुई।
तो देखो
ना, तुमने जिस बीज को अपनी (ताकत, क्षमता, प्यार,
सम्मान और आत्मविश्वास) से इतना सींचा, कल वह एक पौधे और आज एक पेड़ का रूप लेकर अपनी डाली
में लगे हरे पत्तों की भांति तुम्हारी उपलब्धियों का बखान कर रहा है।
तो चलो,
अपने संघर्ष का जश्न मनाते हैं।
इस बात
पर गर्व करते हैं कि तुमने कैसे चीजों को संभाला है।
तुमने जो
अपनी मौन लड़ाईयाँ स्वयं लड़ी हैं, उस समय जब तुमने अपने आंसू खुद पोछे हैं, फिर से उस पेड़ का सहारा लेकर जिस आत्मविश्वास से
आगे बढ़ी हो, तो चलो उसका जश्न मनाते हैं।
और इस वर्ष (2024) में अपने सपनों
के पेड़ को और हरे पत्तों से, फूलों से, पक्षियों के घरोंदों से आबाद करने का वादा
करते हैं।
तो चलो,
अपने संघर्ष का जश्न मनाते हैं।
स्मृति
बैच-9, एडू-लीडर
No comments:
Post a Comment