नमस्ते साथियों,
मैं आप लोगों के साथ आज के फील्ड वर्क (field work) का एक प्यारा सा अनुभव साझा करने जा रही हूँ। आज मैं, जीनत और रूबी
एक साथ फील्ड पर गए और हमारा उद्देश्य Voice & Choice को महिलाओं तक पहुँचाना था। हमने एक जगह देखा कि 4-5 महिलायें एक
साथ एकत्रित होकर बैठकर बातें कर ही रही थी। तो हम तीनों ने भी सोचा कि चलो इन्ही
महिलाओं से Voice & Choice के बारे
में बात की जाये।
जब हम लोग बता रहे थे और यह बातें कर रहे थे तो वहाँ एक
बूढी दादी भी थी, जिन्होंने अपने जमाने की कुछ बातें साझा की।
उन्होंने अपनी बात हमारे सामने रखी यह देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई परन्तु साथ ही साथ उनकी बातें सुनकर दुःख भी हुआ कि पहले के ज़माने में लड़कियों की कोई choice ही नहीं होती थी या ये कहा जाये कि उन्हें कुछ कहने का अवसर ही नहीं दिया जाता था। जिसके कारण वो क़ानूनी अपराध और घरेलू हिंसा का शिकार भी हो जाया करती थी।
उन्होंने बताया कि उनके समय में लड़कियों को कोई अधिकार
नहीं दिए गए थे। लड़कियाँ अपनी बात अपने पिता तो दूर अपनी माँ से भी साझा
नहीं कर सकती थी। जो अपनी voice किसी प्रकार
परिवार के किसी सदस्य के सामने रख भी देती तो उसे मारा-पीटा जाता था। बहुत ही कम
उम्र में सबका विवाह भी हो जाया करता था।
(ग्रामीण
महिलाओं से voice
& choice पर बात करती हुई एडू-लीडर्स)
उनकी
बातों से मुझे यह समझ आया कि पहले इतने अत्याचार इसलिए होते थे क्योंकि शिक्षा की
कमी थी और अशिक्षा के कारण महिलाएं अपने चॉइस के लिए वॉइस नहीं उठा पाती थी।
मैंने ये भी समझा कि जब किसी व्यक्ति पर किसी बात का गहरा प्रभाव पड़ता है तो वह
चाहता है कि ये किसी अन्य व्यक्ति के साथ ना हो। इसलिए वह चाहती हैं कि जिस
परिस्थिति हमने झेली है उसे हमारे बच्चे ना झेलें और हम उन्हें बेहतर माहौल दे
पायें। ऐसे ही धीरे-धीरे हमारा समाज विकास की ओर आगे बढेगा।
फिर
एक आंटी (aunt) बोली
कि मैं भी पढ़ना चाहती थी। थोड़ा बहुत पढ़ी भी हूँ लेकिन फिर हमारे परिजनों
ने मना कर दिया था। जिसके कारण आज हम लोग कुछ नहीं कर सकते।
हम तीनों
ने मिलकर उन्हें आश्वासन दिया कि आप नहीं पढ़ी हैं तो अभी भी पढ़ सकती हैं। और नहीं
पढ़ी है तो क्या हुआ? आप अभी भी कुछ कर सकती हैं। आप खुद के पैसे कमा सकती
हैं बहुत सारे काम है वह कर सकती है। बहुत सारे ऑप्शंस (options) के बारे में हमने बताया कि आप यह
भी कर सकती है। जैसे- सिलाई कर सकती है, कढ़ाई कर सकती है या अपना खुद का रुपया
कमा के अन्य कुछ काम कर सकती हैं। उन्हें भी यह सब सुनकर बहुत अच्छा लगा।
फिर
वहीँ पर उपस्थित एक दीदी ने पूछा कि “हम हठ करके जो मांगते हैं, अपने चॉइस
के लिए जो वॉइस रखते हैं क्या वही हमारी वॉइस है”?
इस
पर हम लोगों ने समझाया कि नहीं! हम उसे वॉइस नहीं कह सकते हैं।
हमें अपना वॉइस उठाने से
पहले अपनी चॉइस के ऊपर थोड़ा सा ध्यान देना जरूरी है कि यह चॉइस हमें किस ओर लेकर
जा सकती हैं। यह सारी बातें वहाँ बैठी दो-चार महिलाएं भी सुन रही थी
उन्होंने कहा कि सारी बेटियाँ ऐसे ही सोचे तो फिर माँ-बाप को बेटियों की चिंता
ही ना रहे। बहुत अच्छी बात है।
फिर एक दादी ने कहा कि वाह! कितनी अच्छी बात बोली है।
अगर यह सोच सब के अंदर आ जाए तो फिर गलत जिद बच्चे करें ही ना। उन्हें हमारी
बातें बहुत अच्छी लगी और उनका जो रिस्पॉन्स (response)
आया सुनकर हमें भी बहुत अच्छा लगा।
फिर हम तीनों दीदी के यहाँ गए और उनसे बातें करके पता चला
कि वह दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं, आगे पढ़ना चाहती हैं और उनके घर
वाले भी उन्हें पढने के लिए प्रेरित करते हैं, फिर भी वह नहीं पढ़ रही है।
उन्हें यह समस्या हुई कि उनकी शादी हो जाने के कारण उनकी
पढ़ाई रुक गई और फिर घर के काम में वह इस प्रकार उलझ गई कि वह पढ़ाई आगे नहीं कर
सकी। अब उनके बच्चे थोड़े बड़े हो गए हैं, उनके घर में भी कोई समस्या नहीं है सब
उनका सपोर्ट करते हैं फिर भी वह अब पढ़ने में थोड़ा संकोच करती हैं क्योंकि वह सोचती
हैं/थी कि अब हमारे बच्चे पढ़ेंगें!
उन्हें लगता था कि उनकी पढ़ने की उम्र खत्म हो गई है। फिर
हम सब ने मिलकर उन्हें थोड़ा सा मोटिवेट (motivate) किया
और बताया कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है। आप जब चाहे तब पढ़ाई शुरू कर सकते
हैं आप दसवीं तो कर चुकी हैं तो अब ग्यारवीं कक्षा में एडमिशन (admission)
करवा लीजिए। हम लोगों ने समझाया कि आपकी बेटी तो पढाई कर ही रही है आप भी उसके
साथ पढ़ सकती हैं।
आज के फील्ड वर्क (field work) में मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि कुछ-कुछ सवाल भी निकल
कर आ रहे थे और मुझे उन सवालों का उत्तर देने में बहुत अच्छा लग रहा था। सबसे
अच्छा लगा- दादी के पुराने जमाने के किस्से सुनकर!
एक आंटी (aunt) ने
हमसे पूछा कि बेटी तुम यह सब क्यों पूछती हो? क्यों बताती हो?
तो हम लोगों ने बताया कि बस ऐसे ही पूछते हैं और यह हम
लोगों का काम है।
फिर उन्होंने पूछा कि क्या यह सब तुम्हें कहीं भेजना भी
होता है?
फिर हम लोगो ने कहा कि नहीं, बस अनुभव लिखना होता है।
तो फिर वह बोली की तो कॉपी कलम लेकर आया करो तो हम लोगों
ने कहा कि नहीं आप लोग बताते हैं ना तो इसी में से हम लोग सुन लेते हैं और फिर याद
हो जाता है। जिस अनुभव की छाप मन पर अधिक पड़ती है वह लिख देते हैं और यहाँ हमारी
बातें समाप्त हुई।
आँचल, बैच-9
मुँगेर
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