Tuesday, January 16, 2024

मेरी पहली हवाई यात्रा- पटना से मुंबई

 बचपन में जब भी मैं अपने घर की खिड़की से बादलों या पहाड़ों को देखती थी तो मुझे लगता था कि एक दिन ऐसा आएगा कि उतनी दूर पहुँच कर मैं उन्हें छू पाऊँगी। पिछले महीने जब मैं पहली बार हवाई जहाज़ पर चढ़ी तो एक अलग और उत्सुकता भरा अनुभव हुआ, जिसे शब्दों में लिख पाना मेरे लिए मुश्किल है। 

 


बादलों के बीच में, ऊपर से नीचे सभी चीजों को दूर से देखना मुझे इतिहास के कुछ पन्ने और टेलीविजन के कई शोज़ (Shows) की याद दिला रहा था, जो मैंने बचपन में देखे और पढ़े था। 

खुद को उस अनुभव में टटोलकर उसे सँजोने की मैं पूरी कोशिश कर रही थी। मेरे लिए सारे अनुभव नए थे, जिससे मुझे काफी कुछ सीखने और समझने का मौका मिला। क्योंकि हमलोग (हमारे साथ अन्य तीन साथी) मुम्बई जा रहे थे, जहाँ राज्यों में विविधताएं है, जिसे “सपनों का शहर” कहा जाता है सुनकर ही लग रहा था, बहुत अलग दुनिया में जा रहे हैं। 

अलग-अलग संस्थाओं के कार्यकर्ताओं और उनके कार्यों को जानने एवं समझने का मौका मिला। हम i-सक्षम के सीनियर मेंटर्स से मिलें जिनकी चीज़ों को देखने का अलग नज़रिया है, जिससे हम सीख सकते हैं। 

 


मैंने उनसे ये सीखा कि "कई बार हम कोई कार्य कर रहे होते हैं, जिसे हम खुद पहचान नहीं पाते कि हम कितना अलग कर रहे हैं।

जो हमे बदलाव की एक दिशा दे रहा है और उसे समझ कर स्वयं से ही कितना कुछ सीख सकते है। 

जब उन्होंने मुझे और मेरे साथी तानिया से बात की और एडु-लीडर के रूप में उन्होंने हमें कहा कि हम खुद को  "I am something else" कह सकते हैं। जिसके द्वारा आप स्वयं को समझ या 'मैं क्या हूँ? को भी शायद पाया जा सकता है।

(आप अपने कार्य के अनुसार भी एक एडु लीडर के रूप में इसका मतलब समझने की कोशिश जरूर करें।)

इसी के साथ हमें कई लोगो से मिलने का मौका मिला और उनके सवाल से खुद को जानने और अपने अब तक के सफर को और गहराईयों से समझने का मौका मिल पाया। 

मेरा आत्मविश्वास और बढ़ा, जब मैंने सुनील सर को जाना।

(साथियों आपको बता दूँ कि सुनील सर ACG कंपनी में कार्यरत है और बिहार से ही हैं।)

उन्होंने अपने और अपनी जीवन संगिनी (पत्नी) के सफर के बारे में साझा किया। उनका विवाह सिर्फ चौदह वर्ष की उम्र में हो गया था और उनकी पत्नी उस समय सिर्फ दसवीं कक्षा तक पढ़ी थी। वो संस्कृत से आगे पढ़ी थी और उस समय उन्हें अंग्रेजी नही आती थी। विवाह के पश्चात मुम्बई आने के बाद अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की।

अभी वो एक लाइफ-कोच (life-coach) है और साथ ही सामाजिक कार्यो में भी संलग्न है। मुझे उम्मीद है, हम जल्द ही उनसे ऑनलाइन (online) रूबरू होंगे। उन्होंने अंग्रेजी से अपनी आगे की पढ़ाई की। ये दोनों अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना कर आगे बढ़े हैं।

इसी के साथ मुझे मुम्बई की सड़को, मेट्रो (metro) और विशेषकर लोकल ट्रेन (local train) के उपयोग से भी नये शहर के कुछ तौर-तरीकों को सीखने और अनुभव करने का मौका मिला।

मुझे तो लगता है, इन अनुभवों और सीख के साथ अब जब मैं बैंगलोर (Bangalore) अपनी पढ़ाई के लिए जाऊँगी तो ये लोकल ट्रेन (local train), भीड़ से भरा ये शहर (जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपने लक्ष्यों की सफलताओं के पीछे भाग रहा है।)

समय की चुनौतियों के साथ, मेरा मुझ पर आत्मविश्वास मुझे सहयोग करेगा कि मैं अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुँच पाऊँ। 

मेरी मुम्बई की इस यात्रा को मज़ेदार, सीख से भरा और यादगार बनाने के लिए मेरे तीन टीम के सदस्य तानिया, आदित्य सर और रवि सर को धन्यवाद करना चाहूँगी। मेरे लिए यह यात्रा डायरी (diary) के उन पन्नो में सबसे यादगार पल में से एक रहेगी।

 

स्मृति
जमुई
9 मई, 2023

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