नमस्ते साथियों,
मैं आपके साथ फरदा क्लस्टर मीटिंग (Cluster Meeting) का अनुभव साझा कर रही हूँ। आज की मीटिंग मुझे बहुत अच्छी लगी, यह समय पर शुरू हुई और समय पर समाप्त भी हुई। ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि सभी एडू-लीडर्स समय पर उपस्थित हो गयी थी। माइंडफुली (mindfully) उपस्थित होने के साथ सभी काफी एक्टिव (active) भी थी।
बीते दो महीनों से प्रेरणा दीदी हमारी क्लस्टर मीटिंग में
शामिल हो रही हैं। उनके उपस्थित रहने से मुझे बहुत प्रसन्नता भी होती है और कुछ
नया सीखने को भी मिलता है।
इन्ही की तरह यदि पुराने बैच की दीदी, जिनके दो
वर्ष पूरे हो गए हैं वे भी क्लस्टर मीटिंग के लिए समय निकाल पाती तो मुझे और भी
ज्यादा ख़ुशी होती। हम सभी को सीखने को भी
मिलता, प्रेरणा भी मिलती और हमारी संख्या भी बढती।
आज की मीटिंग मुझे इसलिए भी अच्छी लगी क्योंकि
आज नियमों (norms) का पालन हो रहा था और कोई बहस भी नहीं हुई। मुझे लगता है कि गतिविधि और भी अच्छी हो सकती थी। गतिविधि
पहले मुझे अच्छी नहीं लग रही थी लेकिन बाद में मुझे बहुत अच्छी लगने लगी। गतिविधि
से हम सीख पाये कि हम यदि शुरुआत में ही इसमें दिए गए निर्देशों पर थोड़ा सा ध्यान
देते तो और अच्छे से कर पाते हैं।
फिर हम लोगों का पिछले महीने का लक्ष्य (goal) में हम लोगों ने क्या काम किया है? कितना कर पाए हैं? उस पर बातचीत हुई।
हमारी
क्लस्टर मीटिंग में बातचीत से एक चीज निकल कर आयी कि फरवरी महीने में सरस्वती पूजा
के समय हमें अपनी लाइब्रेरी को खाली करना होगा। क्योंकि वह एक सामुदायिक भवन है और
प्रत्येक वर्ष वहाँ पर एक कार्यक्रम होता है। हम लोगों ने विचार करके यह
निष्कर्ष निकाला कि हम इस लाइब्रेरी को विद्यालय में स्थानांतरित (shift) कर देंगें। बच्चों को भी सुविधा
होगी, लाइब्रेरी का स्थान भी बार-बार नहीं बदलना होगा और सामुदायिक भवन भी अन्य कार्यक्रमों
के लिए अच्छे से उपयोग में लाया जायेगा।
इस कार्य को
करने के लिए हम सभी साथियों ने ITC से सहायता माँगी, इसके लिए हमने उन्हें पत्र भी लिखा था। परन्तु यह कार्य अभी बीच में ही रुका है। हम
सभी ने विचार किया कि इस महीने से हम फिर से काम शुरू करेंगे। जितने मुद्दे सोचे
थे सभी पर बात हुई, जिससे मुझे बहुत अच्छा भी लगा।
फिर एक
समस्या यह भी आयी कि बहुत सारी महिलाएं ऐसी है जो बैंक तो जाती है परन्तु
उन्हें फॉर्म भरना नहीं आता। जिस वजह से बेंक के कर्मचारी उनकी बात नहीं
सुनते, उन्हें डाटा भी जाता है और उन्हें लिखने-पढने के कार्यों में दूसरों से
सहायता मांगनी पड़ती है। हमने विचार किया कि इसके लिए वैसी महिलाएं जो फॉर्म
नहीं भर पाती है हम उन्हें फॉर्म भरना सिखाएंगे या फिर वैसी महिलाएं जो हस्ताक्षर
(Signature) करना नहीं जानती है
उन्हें हस्ताक्षर करने सिखाएंगे नहीं तो इतना सिखाएंगे कि वह उन्हें अंगूठा
कहाँ-कहाँ लगाना होता है।
इस बार की
क्लस्टर मीटिंग में हर मुद्दे के ऊपर समय दिया और सब मुद्दे समय पर ही खत्म हो रहे
थे। ज्यादा डिबेट (debate) ना होने के कारण समय भी बर्बाद नहीं हुआ और हम
लोगों को अपना ‘बढ़ते कदम’ प्रोजेक्ट करने के लिए भी भरपूर समय मिला।
प्रोजेक्ट के साथ-साथ हमें फीडबैक भी मिल पाया। इस क्लस्टर मीटिंग से बस इतना ही।
आँचल, बैच-9
मुंगेर
25 नवम्बर, 2023
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