नमस्ते साथियों,
पिछले तीन
महीनों से लगातार प्रयासरत होने के बाद मेरा ‘बडी टॉक’ वाला कार्य इस माह
सफलतापूर्वक पूरा हो पाया। मेरी बडी मोना दीदी हैं जो बैच-5 की एडू-लीडर रह चुकी
हैं और वर्तमान में i-सक्षम टीम का हिस्सा हैं।
वैसे तो
मेरे लिए बड़ी बात यह भी है कि जिन दीदी से मैं एक-दो बार ही मिली (परिचय के अलावा
ज्यादा बात नहीं हुई थी।) उनके साथ मैंने ‘सवा घंटा’ बातचीत की। दोस्तों, बातचीत
का अर्थ यहाँ यह नहीं है कि एकतरफा बात हुई। आप तो जानते ही हैं कि मैं थोडा
तेजी से बोलती हूँ। परन्तु उनके प्रश्न, प्रश्न पूछने का तरीका, मैं कुछ बोल
रही हूँ तो उसे दोहरा कर भलीभांति पुष्टि करने का तरीका, उनका मेरी बातों को
उत्सुकतापूर्वक सुनना, मेरे लिए सुखद अनुभव रहा।
मेरे जीवन
के लक्ष्यों को सोचने के लिए प्रेरित करना, क्या-क्या अपेक्षित चुनौतियाँ हो सकती
हैं- इस सन्दर्भ में उनसे बात करके महसूस हुआ कि जैसे मैं किसी लम्बी यात्रा पर
हूँ और बीच रास्ते में कोई मुझे मेरा लक्ष्य याद कराने आया है। वैसे तो हम सभी
को अपना लक्ष्य पता होता ही है परन्तु हम कल कहाँ थे? आज कहाँ खड़े हैं? और कल कहाँ
पहुँचना चाहेंगे? पर कोई विस्तारपूर्वक बात करता है तो लगता है कि सही समय पर
दर्पण देख लिया हो। अब लगता है कि मैं अपने साथियों, बड़ों तथा परिजनों को भी
स्पष्टता से समझा पाऊँगी।
मेरे लिए
पहली बड़ी टॉक बहुत उपयोगी रही। मैं, मेरी बडी (मोना दीदी) और फ़ेलोशिप करिकुलम
की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हूँ। मैं अगली बडी टॉक
के लिए उत्सुक हूँ और कोशिश करुँगी कि अपनी चुनौतियों को, अपनी सोच को और
छोटे-छोटे लक्ष्यों को और बारीकी से अपने बडी के सामने रख सकूँ जिससे मुझे और आप
सभी को मेरे अनुभवों को पढने से कुछ सहायता मिल सके।
रश्मि रानी
बैच-9, मुँगेर
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