प्रिय साथियों,
आज मैं आप सभी के साथ इस तस्वीर के माध्यम से अपनी कक्षा
का एक छोटा सा अनुभव साझा करने जा रही हूँ। जैसा कि इस तस्वीर में दिख रहा है कि
एक बच्ची ने अपने पिता जी को पत्र लिखा है।
आज मैं जब अपनी कक्षा में आयी तो सभी बच्चों से बातचीत की। मैंने उन्हें आज पत्र के बारे में बताया कि पत्र कैसे लिखते हैं?
बहुत सारे बच्चे तो यह भी नहीं जानते
थे कि पत्र क्या होता है? बहुत सारों को पत्र का मतलब चिट्ठी पता था। जो सही ही था।
तो मैंने बच्चों को आम भाषा में समझाया कि यदि आपके पापा आपसे दूर रहते हैं तो
आप जैसे फोन पर बात करते हैं ना, पहले के समय में इन सभी बात को एक कागज में लिखकर
भेजा जाता था, उसी को पत्र कहते थे। ये आप आज भी लिखकर भेज सकते हो।
पत्र लिखना कोई बहुत बड़ा कार्य नहीं है। आप सब भी लिख
सकते हैं। आपके मन में जो भी आ रहा है आप उन सभी बातों को किसी कॉपी के एक पन्ने
में लिख लीजिए।
इस तरह के अभ्यास से बच्चों के माँ-बाप जान पायेंगें कि
बच्चे अपने परिवार के बारे में क्या सोचते हैं? अपने परिवारजनों के साथ बच्चों का
जुडाव कैसा है?
चित्र में दिखाए गए पत्र को मैंने पढ़ा और मैं समझ पायी कि
इस बच्ची ने अपने पापा को पत्र लिखा है। मैं, यह पत्र पढ़ कर बहुत ज्यादा भावुक
हो गई थी। विशेषकर ये लाइन जिसमें बच्ची ने लिखा है कि “पापा मुझे आपकी
बहुत याद आती है। आप कब तक आओगे?”
मुझे इस पत्र की लेखनी में बच्ची की भावनाएं दिख रही हैं।
इस तरह से बच्चों के द्वारा लिखे भावनात्मक पत्रों को पढ़कर बहुत ही ज्यादा आनंदित
महसूस होता है।
मैं खेल-खेल में ही बच्चों के साथ
सीखने और सीखने की प्रक्रिया से जुड़ पा रही हूँ। बच्चे भी सीख रहें हैं और मैं भी
सीख रही हूँ। मैं इन सभी अनुभवों के लिए i-सक्षम के
सभी फैसिलिटेटर (facilitator) साथियों
को धन्यवाद देना चाहती हूँ कि मुझे इस तरह से पढ़ाना आपकी वजह से आ पाया; इस संस्था
की वजह से आ पाया। बहुत सारा आभार।
पलक
बैच-9, मुंगेर
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